करवा चौथ में छलनी, सींक और करवा का महत्व
करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘करवा’ यानि ‘मिट्टी का बर्तन’ और ‘चौथ’ यानि ‘गणेश जी की प्रिय तिथि चतुर्थी’। करवा चौथ में पूजा के दौरान छलनी, सींक, करवा और दीपक का इस्तेमाल होता है।
कलश और थाली का प्रतीकात्मक महत्व
करवाचौथ की पूजा में मिट्टी या तांबे के कलश से चन्द्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। पुराणों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कलश में सभी ग्रह-नक्षत्रों और तीर्थ का निवास होता है। इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि कलश में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सभी नदियों, सागरों, सरोवरों एवं तैतीस कोटि देवी-देवता भी विराजते हैं। पूजा की थाली में रोली,चावल,दीपक, फल, फूल, पताशा, सुहाग का सामान और जल से भरा कलश रखा जाता है। करवा के ऊपर मिटटी के बड़े दीपक में जौ या गेहूं रखे जाते हैं। जौ समृद्धि, शांति, उन्नति और खुशहाली का प्रतीक होते हैं।
दीपक और छलनी का प्रतीकात्मक महत्व
दीये की रोशनी का करवा चौथ में विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी पर सूर्य का बदला हुआ रूप अग्नि माना जाता है। माना जाता है कि अग्नि को साक्षी मानकर की गई पूजा सफल होती है। प्रकाश को ज्ञान का प्रतीक भी कहा जाता है। ज्ञान प्राप्त होने से मन से अज्ञानता रूपी सभी विकार दूर होते हैं। दीपक नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर भगाता है। महिलाएं दिन के अंत में पहले छलनी से चंद्रमा को देखकर और फिर तुरंत अपने पति को देखकर अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ में सुनाई जानेवाली वीरवती की कथा से जुड़ा हुआ है। बहन वीरवती को भूखा देख उसके भाइयों ने चांद निकलने से पहले एक पेड़ की आड़ में छलनी में दीप रखकर चांद बनाया और बहन का व्रत खुलवाया।
करवा का प्रतीकात्मक महत्व
करवा का अर्थ है ‘करवा’ यानी मिट्टी का बर्तन जिसे भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है। भगवान गणेश जल तत्व के कारक हैं और करवा में लगी नली(टोंटी) भगवान गणेश की सूंड का प्रतीक है। इस दिन मिट्टी के करवा में जल भरकर पूजा में रखना शुभ माना जाता है।
सींक किसका प्रतीक
करवा चौथ व्रत की पूजा में सींक का होना बहुत ज़रूरी होता है। ये सींक मां करवा की शक्ति का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार मां करवा के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। तब उन्होंने कच्चे धागे से मगर को बांध दिया और यमराज के पास पहुंच गईं। वे उस समय चित्रगुप्त के खाते देख रहे थे। करवा ने सात सींक लेकर उन्हें झाड़ना शुरू किया जिससे खाते आकाश में उड़ने लगे। करवा ने यमराज से अपने पति की रक्षा करने के लिए कहा, तब उन्होंने मगरमच्छ को मारकर करवा के पति की जान बचाई और उन्हें लंबी उम्र का वरदान दिया।
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