कुंडलिनी शक्ति कैसे करें जागृत इस तरह कुंडलिनी शक्ति जगाकर आप भी कर सकते हैं चमत्कार How to awaken kundalini shakti you too can do miracles by awakening kundalini shakti in this way in Hindi 

कुंडलिनी ध्यान के सिद्धांत के अनुसार, जीवन ऊर्जा आपकी रीढ़ (मूल चक्र) के आधार पर सांप की तरह कुंडलित होती है और इसी कारण इसका नाम कुंडलिनी पड़ा। कुंडलिनी ध्यान में, आप इस ऊर्जा को जगा सकते हैं और अभ्यासों के संयोजन के माध्यम से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इन अभ्यासों में निम्न शामिल हैं

गहरी सांस लेना, मुद्राएं, मंत्र, शारीरिक हलचल कहा जाता है कि ये अभ्यास आपके शरीर में निष्क्रिय ऊर्जा को जगाते हैं और इसे आपके चक्रों (ऊर्जा केंद्रों) के साथ तब तक घुमाते हैं जब तक कि यह आपके सिर के सातवें (सहस्त्रार) चक्र पर रिहाई बिंदु तक नहीं पहुंच जाती। ऊर्जा की यह रिहाई आंतरिक संतुलन, जागृति और ज्ञानोदय को बढ़ावा देती है।

कुंडलिनी शक्ति Kundlini Shakti in Hindi 

कुंडलिनी शक्ति को समझने के लिए सबसे पहले हमे ब्रह्म और शक्ति को समझना होगा. ब्रह्म सर्वशक्तिमान है, वो हर जगह विराजमान है और वो निर्विकार है किन्तु उसे मूढ़ अर्थ अज्ञानी और गुम सुम बैठा रहने वाला भी कहा जाता है. किन्तु सोचो कि अगर ब्रह्म ही जो हर जगह विराजमान है जिसके बिना कुछ भी नही अगर वो ही गुम सुम बैठा रहे तो सृष्टि का सृजन और उसका पालन कौन करेगा. इसीलिए ब्रह्म को जगाने की आवश्यकता होती है. इसी स्थिति को देखते हुए शक्ति अर्थात शिव ने मदद की. इसी शक्ति को या इस शक्ति के तत्व को ही कुंडलिनी कहा जाता है. ये शक्ति ब्रह्म को कार्य करने के लिए उर्जावान बना कार्यशील बनती है

ईश्वर की पराशक्ति जिसे हम माता पार्वती, लक्ष्मी, दुर्गा या काली इत्यादि नामो से पुकारते है वो ईश्वर का ही हिस्सा होती है. जब ईश्वर और ईश्वर की ये पराशक्ति मिलती है तो ईश्वर के उस भाग को अर्धनारीश्वर कहा जाता है. परमपिता प्रमेश्वर की इसी पराशक्ति को कुंडलिनी कहा जाता है. मनुष्य की ये कुंडलिनी शक्ति या दिव्य शक्ति मनुष्य शरीर की रीढ़ की हड्डी के नीचे मूलाधार में स्थित होती है. किन्तु जब तक इसे जगाया ना जाएँ ये वहाँ साढ़े तीन आंट लगाकर सोती रहती है. इन्ही आंटो को कुंडली कहा जाता है. और क्योकि ये शक्ति है तो इसे कुंडलिनी शक्ति कहा जाता है.

इसके जागरण की प्रक्रिया के दौरान ये शक्ति ऊपर की तरफ बढती रहती है. इस शक्ति पर ईश्वर का नियंत्रण होता है इसीलिए इसके इतने शक्तिशाली और प्रचंड वेग के होने के बाद भी ये अनुशासित और नियंत्रित रहती है. ये धीरे धीरे ऊपर बढ़ते हुए 6 चक्रों को पार करती है और सहस्रार चक्र तक पहुँच जाती है

कुंडलिनी में त्रिदेव Trinity in Kundlini 

कुंडलिनी में 3 चक्र, 3 कोण, 3 भुपुर, 3 स्वर के मंत्र और इसके 3 ही पहलु होते है. इसका कारण ये है कि इसमें तीनों ईश्वर ब्रह्मा – जिन्होंने सृष्टि को बनाया है

विष्णु – जो सृष्टि का पालन करते है और

महेश – जो सृष्टि का संहार करते है, वे तीनो इसी कुंडलिनी में विराजमान है. इन्हें त्रिदेव भी कहा जाता है

कुंडलिनी में प्राणवायु Vital Breaths in Kundlini in Hindi 

क्योकि कुंडलिनी शक्ति या उर्जा शरीर के हर हिस्से में विराजमान होती है इसीलिए ये शरीर की पाँचों वायु को भी नियंत्रित करती है. इन्ही पांच वायु की वजह से ही मानव शरीर की रचना होती है और वो मानव शरीर को पकडे और आकार दे पाता है. ये पांच वायु कुछ इस प्रकार है

प्राण : ये शरीर के ऊपर वाले हिस्से में स्थित होती है और हमेशा ऊपर की ही तरफ बढती है.

अपान : अपान शरीर के निचले हिस्से में स्थित है और ये हमेशा नीचे की ही तरफ अग्रसर रहती है.

सामान : ये मानव धड में ही रहती है और खाने की चीजों के साथ अपना कार्य करती है.

व्यान : व्यान मानव हृदय में रहती है और वहाँ से खून के साथ मिलकर सम्पूर्ण शरीर में प्रसारित होती है.

उदान : जब मनुष्य मरता है तो उस वक़्त ये आत्मा को ऊपर की तरफ लेकर जाती है.

ये पाँचों वायु मिलकर कुंडलिनी शक्ति को नियंत्रित करती है और शरीर को कार्यरत रखती है. इसीलिए कुंडलिनी शक्ति को चैतन्य भी कहा जाता है क्योकि ये शरीर में चेतना को बनाये रखती है.

1. साधना Meditation 

अगर आप साधना के जरिये अपनी कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करना चाहते है तो उसके लिएय आपको योग के मार्ग का अनुसरण करते हुये कर्मयोग, भक्तियोग, हठयोग और गुरुकृपायोग को साधना पड़ता है. साथ ही आपको प्राणायाम, यौगिक क्रियाओं और ब्रह्मचर्य का पालन भी करना होता है. इन सब नियमों के पालन के अलावा आपमें अनुशासन, धैर्य और सहनशीलता का होना भी अति आवश्यक है.

2. शक्तिपात Shaktipaat 

ये एक योग है जिसके जरियें आपको एक व्यक्ति के द्वारा दुसरे व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति दी जाती है. सीधे शब्दों में कहें तो एक गुरु अपने शिष्य को अपनी आध्यात्मिक शक्ति देकर उसकी कुंडलिनी शक्ति के जागरण में सहायक होता है. शक्ति को शिष्य तक पहुँचाने के लिए गुरु कुछ मन्त्रों का या पवित्र शब्दों का इस्तेमाल करता है, इस दौरान वो अपने नेत्रों को बंद रखता है और शिष्य को स्पर्श कर उसके आज्ञाचक्र में अपनी शक्ति को डालता है. इस प्रकार गुरु अपने योग्य शिष्य पर अपनी कृपा दीखता है. गुरु द्वारा दी गई इस शक्ति का प्रयोग कर शिष्य आसानी से अपनी कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने में सफल हो पाता है.

कुंडलिनी शक्ति का जागरण मात्र आध्यात्मिक प्रगति से ही संभव है जिसके सरल और सही मार्ग है साधना. तो आप साधना के जरिये ही अपनी कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करें, जिसके लिए आप साधना के 6 मूलभूत तत्वों को जरुर ध्यान में रखें. ये 6 तत्व आपके मार्ग को सरल बनाते है. किन्तु जब गुरु द्वारा शक्तिपात किया जाता है तो इससे शिष्य के पास एकदम से अचानक आध्यात्मिक शक्ति आ जाती है और वो इस आनंदमयी अनुभव को जीने लगता है. इसके अलावा अब उसे सिर्फ गुणात्मक और संख्यात्मक स्तर में इजाफा कर उसे कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने की दिशा में अग्रसर होना होता है. इससे साधक का विश्वास भी मजबूत होता है.

कहा जाता है कि अगर कोई साधक भक्तिमार्ग के जरिये अपनी कुंडलिनी शक्ति को जागृत करता है तो उसका भाव जागृत होता है और यदि वो ज्ञानमार्ग से कुंडलिनी शक्ति को जागृत करता है तो उससे उसे दिव्या ज्ञान की अनुभूति होती है.

कुण्डलिनी शक्ति जागरण शाबर मंत्र Kundalini Shakti Jagran Mantra in Hindi 

कुंडलिनी चक्र शक्ति कैसे जागृत करें ? How to awaken Kundalini Chakra Shakti in Hindi 

मानव शरीर में सात चक्र होते है इन्हे कुंडलिनी कहते है। तंत्र शास्त्र में माना जाता है की अगर मानव ने इन कुंडलिनी चक्र चक्रो को खोल दिया तो मानव ऊर्जावान हो जाता है, वो अलौकिक शक्तिवोका उसे अनुभव हो सकता है। ये असाधारण बात लगती है परन्तु ये साधना अत्यंत कठिन हे, इसे अच्छे गुरु के मार्ग दर्शन से करे। हमने आपके लिए एक शाबर मंत्र दिया है वो नाथपंथी मंत्र है और अनुभूत मंत्र है।

मंत्र : ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम:।

कुण्डलिनी शक्ति शाबर मंत्र विधि: 

माला : इस मंत्र का जाप करने के लिए आप किसी भी माला का इस्तेमाल कर सकते है भेहतर होगा सिद्ध रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल करे

मंत्र संख्या : इस मंत्र का 108 बार या 1008 बार जाप किया जा सकता है।

मंत्र दिन : इस मंत्र का आप हर दिन जप करे १०८ या १००८ बार कर सकते है।

आसन: आपके मन से।

दिशा : उतर या पूर्व की तरप मुख करके जप करे ।

जपपश्च्यात अगला मन्त्र कहे

मंत्र : ना गुरोरधिकम, ना गुरोरधिकम, ना गुरोरधिकम शिव शासनतः, शिव शासनतः, शिव शासनतः।

कुंडलिनी योग में इस्तेमाल किये जाने वाले कुछ आम मंत्र निम्न हैं 

मूलाधार चक्र ॐ लं परम तत्वाय गं ॐ फट

स्वाधिष्ठान चक्र ॐ वं वं स्वाधिष्ठान जाग्रय जाग्रय वं वं ॐ फट

मणिपुर चक्र ॐ रं जाग्रनय ह्रीम मणिपुर रं ॐ फट

अनाहत चक्र ॐ यं अनाहत जाग्रय जाग्रय श्रीं ॐ फट

विशुद्ध चक्र ॐ ऐं ह्रीं श्रीं विशुद्धय फट

आज्ञा चक्र ॐ हं क्षं चक्र जगरनाए कलिकाए फट

सहस्त्रार चक्र ॐ ह्रीं सहस्त्रार चक्र जाग्रय जाग्रय ऐं फट

आप इन मंत्रों को जोर से उच्चारित कर सकते हैं या मन में ही दोहरा सकते हैं, जो भी आपको बेहतर लगे।

आपको मन्त्र जाप से शरीर के आंतरिक 7 चक्र (chakra) शक्ति जागृत होती है। कालान्तर से Kundalini Shakti जागृत होती है, जप करते वक़्त मन्त्र अपने शरीर मै गूंज रहा है ऐसी कल्पना करे।

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