हनुमान जी की पूजा का विग्रह अनुसार फल 

हनुमानजी को हिन्दू धर्म में बड़ा ही शुभ और मंगलकारी माना गया है। मंगलवार को इनका पूजन करना बहुत शुभफलदायी मन जाता है। मंगलवार के दिन कई देवी देवताओं की उपासना की जाती है, लेकिन आज के दिन खासकर हनुमान जी की उपासना की जाती है। जिनके आगे काल भी नत्मस्तक हो जाता है। हनुमान जी को रुद्र यानि शिव का अवतार माना गया है। आईए जानते हैं हनुमान जी की पूजा का विग्रह के अनुसार फल

।। श्रीहनुमते नमः ।।

भादौं में सिंदूर से, हनुमत का अभिषेक।

प्रेम भाव से जो करै, पावै बुद्धि विवेक।।

1. पूर्वमुखी हुनमान जी East facing Hanuman ji 

पूर्व की तरफ मुख वाले बजरंबली को वानर रूप में पूजा जाता है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के बजरंगबली जाने जाते हैं। दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे तो पूर्वमूखी हनुमान की पूजा शुरू कर दें।

2. पश्चिममुखी हनुमान जी West facing hanuman ji

पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमानजी को गरूड़ का रूप माना जाता है। इसी रूप संकटमोचन का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं। यही कारण है कि कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है।

3. उत्तरामुखी हनुमान जी North facing Hanuman ji

उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की पूजा शूकर के रूप में होती है। एक बात और वह यह कि उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा होती है। यानी शुभ और मंगलकारी। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस ओर मुख किए भगवान की पूजा आपको धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के साथ ही रोग मुक्त बनाती है।

4. दक्षिणामुखी हनुमान जी South facing hanuman ji

दक्षिण मुखी हनुमान जी को भगवान नृसिंह का रूप माना जाता है। दक्षिण दिशा यमराज की होती है और इस दिशा में हनुमान जी की पूजा से इंसान के डर, चिंता और दिक्कतों से मुक्ति मिलती है। दक्षिणमुखी हनुमान जी बुरी शक्तियों से बचाते हैं।

5. ऊर्ध्वमुख हनुमान जी Upside down Hanuman ji

इस ओर मुख किए हनुमान जी को ऊर्ध्वमुख रूप यानी घोड़े का रूप माना गया है। इस स्वरूप की पूजाकरने वालों को दुश्मनों और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस स्वरूप को भगवान ने ब्रह्माजी के कहने पर धारण कर हयग्रीवदैत्य का संहार किया था।

6. पंचमुखी हनुमान जी Panchmukhi Hanuman ji

पंचमुखी हनुमान के पांच रूपों की पूजा की जाती है। इसमें हर मुख अलग-अलग शक्तियों का परिचायक है। रावण ने जब छल से राम लक्ष्मण बंधक बना लिया था तो हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण से उन्हें मुक्त कराया था। पांच दीये एक साथ बुझाने पर ही श्रीराम-लक्षमण मुक्त हो सकते थे इसलिए भगवान ने पंचमुखी रूप धारण किया था। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख में वह विराजे हैं।

7. एकादशी हनुमान जी Ekadashi Hanuman ji 

ये रूप भगवान शिव का स्वरूप भी माना जाता है। एकादशी रूप रुद्र यानी शिव का ग्यारहवां अवतार है। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख के राक्षस का वध करने के लिए भगवान ने एकादश मुख का रुप धारण किया था। चैत्र पूर्णिमा यानी हनमान जयंती के दिन उस राक्षस का वध किया था। यही कारण है कि भक्तों को एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा सारे ही भगवानों की उपासना समना माना जाता है।

8. वीर हनुमान जी Brave hanuman ji

हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा भक्त साहस और आत्मविश्वास पाने के लिए करते हें। इस रूप के जरिये भगवान के बल, साहस, पराक्रम को जाना जाता है। अर्थात तो भगवान श्रीराम के काज को संवार सकता है वह अपने भक्तों के काज और कष्ट क्षण में दूर कर देते हैं।

9. भक्त हनुमान जी Devotee Hanuman ji

भगवान का यह स्वरूप में श्रीरामभक्त का है। इनकी पूजा करने से आपको भगवान श्रीराम का भी आर्शीवद मिलता है। बजरंगबली की पूजा अड़चनों को दूर करने वाली होती है। इस पूजा से भक्तों में एग्राता और भक्ति की भावना जागृत होती है।

10. दास हनुमान जी Das Hanuman ji

बजरंबली का यह स्वरूप श्रीराम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को दिखाता है। इस स्वरूप की पूजाकरने वाले भक्तों को धर्म कार्य और रिश्ते-नाते निभाने में निपुणता हासिल होती है। सेवा और समर्णण का भाव भक्त इस स्वरूप के जरिये ही पाते हैं।

11. सूर्यमुखी हनुमान जी Suryamukhi Hanuman ji 

यह स्वरूप भगवान सूर्य का माना गया है। सूर्य देव बजरंगबली के गुरु माने गए हैं। इस स्वरूप की पूजा से ज्ञान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और उन्नति का रास्ता खोलता है। क्योंकि श्रीहनुमान के गुरु सूर्य देव अपनी इन्हीं शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।

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