श्री हनुमान मंत्र शक्ति प्रयोग विधि Shree Hanuman Mantra Shakti Use Method in Hindi 

दुनिया चले ना श्री राम के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना 

भगवान हनुमान को रुद्र के ग्यारहवा अवतार माना गया हैं। हनुमान जी तुरंत साधक की विनती सुन लेते हैं और उन्हें अपनी शरण में ले लेते हैं। जो लोग प्रतिदिन हनुमान जी का ध्यान करते हैं, हनुमान जी उनकी बुद्धि से क्रोध को दूर करते हैं और शक्ति बढ़ाते हैं। यही वजह है कि अनोखी शिव लीलाओं की तरह ही हनुमानजी से जुड़े सारे पौराणिक प्रसंग उनकी शक्तियो को उजागर करते हैं।

एक बार हुनमान जी को भी श्री राम ने पंक्ति में बैठने का आदेश दिया। हनुमानजी बैठ तो गए पंरतु आदत ऐसी थी की राम के खाने के उपरांत ही सभी लोग भोजन खाते थे। आज श्री राम के आदेश से पहले खाना पड़ रहा था।माता जानकी भोजन का ढेर परोसती जा रही थी पर हनुमान का पेट ही नहीं भर रहा था।

सीता जी कुछ समय तक तो उन्हें भोजन परोसती रही फिर समझ गई इस तरह से तो हनुमान जी का पेट नहीं भरेगा। उन्होंने तुलसी के एक पत्ते पर राम नाम लिखा और भोजन के साथ हनुमान जी को परोस दिया। तुलसी पत्र खाते ही हनुमान जी को संतुष्टी मिली और वह भोजन खा कर उठ खड़े हुए। भगवान शिव शंकर ने प्रसन्न होकर हनुमान को आशीर्वाद दिया कि आप की राम भक्ति युगों तक याद की जाएगी और आप संकट मोचन कहलाएंगे।

हनुमान साधना के नियम Rules of Hanuman Sadhana in Hindi 

1. साधना में मंत्र जप की संख्या एक समान रखे और प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।

2. मन में द्रढ़ संकल्प और हनुमान जी के प्रति आपका समर्पण भाव सच्चा होना चाहिए।

3. पूर्णरूप से साधना काल के समय ब्रह्मचर्य का पालन करें।

4. परस्त्री या लड़की को हवस की नजर से देखना साधना को भंग कर सकता है।

5. हर स्त्री या लड़की में माँ और बहन की नजर से देखने का भाव होना चाहिए।

6. यदि आप विवाहित है तो साधना काल के समय अपनी पत्नी से भी संबंध न बनाए।

7. साधना काल से समय साफ़-सफाई का पूर्ण रूप से ध्यान रखे। स्वयं को स्वच्छ व शुद्ध बनाये रखे।

8. साधना काल के समय नीचे जमीन पर ही सोना चाहिए। व्यर्थ में दूसरों के स्पर्श से बचना चाहिए।

9. साधना करते समय केसरियां रंग के वस्त्र धारण करके ही मन्त्र जप करने चाहिए।

मंत्र साधना के नियम rules of chanting in Hindi 

इस प्रकार विधि-विधान के अनुसार हनुमान जी की साधना को पूर्ण करते है तो आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। हर संकट दूर होते है और मंत्र की सिद्धि प्राप्त होती है।हनुमानजी की साधना में यदि आप अपने गले में सिद्ध हनुमान तावीज को धारण करके साधना करते है तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए पहले गले में सिद्ध हनुमान यन्त्र तावीज धारण करें और फिर हनुमानजी की साधना आरंभ करें।

हनुमानजी की साधना विधि Worship method of Hanumanji in Hindi 

अपने घर में एक ऐसे कक्ष को चुने जिसमें आपको कोई भी तंग न करें। अब इस कक्ष की अच्छे से साफ-सफाई करें। गोमूत्र और गंगाजल मिलाकर पूरे कमरे में छिड़ककर कमरे को पवित्र कर ले। अब कक्ष में पूर्व दिशा की और एक चौकी पर केसरिया रंग का कपड़ा बिछाकर उस चौकी पर हनुमान जी की प्रतिमा और उनका सिद्ध यंत्र स्थापित करें।

चौकी की बायीं तरफ (ईषान कोण) में एक मिट्टी के कलश में पानी भर कर स्थापना करें। एक पानी वाला नारियल इसके ऊपर लाल कपड़ा लपेटकर इसे पानी के कलश के ऊपर रख दें। स्वयं भी केसरियां रंग के वस्त्र धारण कर चौकी के सामने लाल आसन बिछाकर बैठ जाए। अब धुप-दीपक प्रज्वल्लित करें। इसके बाद दाएं हाथ में थोड़ा जल लेकर इस प्रकार संकल्प करें :-

हे परमपिता परमेश्वर मैं (अपना नाम बोले) गोत्र (अपना गोत्र बोले) आपकी कृपा से हनुमान जी का ये मंत्र सिद्ध कर रहा हूँ, इसमें मुझे सफलता प्रदान करें। ये कहकर हाथ के जल को नीचे जमीन पर छोड़ दें।

अब हाथ से तीन बार जमीन को स्पर्श करते हुए 3 बार बोलें – ॐ श्री विष्णवे नमः  

अब आप दाएं हाथ में गोमुखी (एक विशेष प्रकार की कपड़े की थेली) में रुद्राक्ष की माला लेकर पहले एक माला अपने गुरु के नाम की करें। इसके बाद एक माला गणेश जी के इस मन्त्र की करें : ॐ गं गणपतये नमः 

ये करने के उपरांत आप भगवान श्री राम का स्मरण करें और अब हनुमान जी के उपरोक्त दो मन्त्रों में से किसी भी एक मंत्र द्वारा मंत्र जप आरंभ कर दे। आरंभ के कुछ दिन आप मन्त्र जप बोल कर करें, बाद में मन ही मानसिक मंत्र का उच्चारण करें। आप अपने सामर्थ्य के अनुसार मंत्र जप की संख्या निर्धारित करें।

इस प्रकार ये मंत्र जप आप लगातार 41 दिनों तक करें। 41 दिन पूर्ण होने पर जितना जप किया है। उसके दस प्रतिशत (दासांश) आहुतियां हनुमान जी के मंत्र की दे। पूरे 41 दिन तक हनुमान जी की चौकी की स्थापना ऐसे ही रहने दे। साधना पूर्ण होने पर नारियल,सिन्दूर को कुछ दक्षिणा के साथ हनुमान जी के मंदिर में चढ़ा आयें।

साधनकाल के समय प्रत्येक मंगलवार हनुमान जी को चोला अर्पित करें और मंगलवार के दिन जब भी समय मिले सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। एक डिब्बी में हनुमान जी के चरणों से सिन्दूर लाकर रख लें। प्रतिदिन साधना शुरू करने से पहले उस सिन्दूर से स्वयं को तिलक करें।

श्री हनुमान् वडवानल 

अचूक और रामबाण प्रयोग: 

यह वडवानल स्तोत्र सभी रोगों के निवारण में, शत्रुनाश, दूसरों के द्वारा किये गये पीड़ा कारक कृत्या अभिचार के निवारण, राज-बंधन विमोचन आदि कई प्रयोगों में काम आता है ।

विधिः- सरसों के तेल का दीपक जलाकर १०८ पाठ नित्य ४१ दिन तक करने पर सभी बाधाओं का शमन होकर अभीष्ट कार्य की सिद्धि होती है।

विनियोगः ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः, श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं, मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे सकल- राज- कुल- संमोहनार्थे, मम समस्त- रोग- प्रशमनार्थम् आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त- पाप-क्षयार्थं श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये ।

ध्यानः मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं । वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ।।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते

श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम सकल- दिङ्मण्डल-यशोवितान- धवलीकृत- जगत-त्रितय वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र उदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार- ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद सर्व- पाप-ग्रह- वारण- सर्व- ज्वरोच्चाटन डाकिनी- शाकिनी- विध्वंसन ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दुःख निवारणाय ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर,

त्र्याहिक-ज्वर चातुर्थिक-ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर, माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा । ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा ।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु शिरः-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्मूलय निर्मूलय नागपाशानन्त- वासुकि- तक्षक कर्कोटकालियान् यक्ष-कुल-जगत रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा ।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा- हनुमते राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्वशत्रून्नासय नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ।

।। इति विभीषणकृतं हनुमद् वडवानल स्तोत्रं ।।

विशेष हनुमत् साबर मन्त्र प्रयोग 

ये सभी मंत्र आजकल के किताबो मे मिल जायेगे परंतु मंत्रो को कैसे प्रयोग मे लाकर कामना सिद्धी करनी है ये किसी भी किताब मे नही दिया हुआ है और इसमे मै आपकी पूर्ण मदत करुगा

1. मन्त्र: ॐ ह्रीं यं ह्रीं राम-दूताय, रिपु-पुरी-दाहनाय अक्ष-कुक्षि-विदारणाय,अपरिमित-बल-पराक्रमाय, रावण-गिरि-वज्रायुधाय ह्रीं स्वाहा ।। 

विधिः आञ्जनेय नामक उक्त मन्त्र का प्रयोग गुरुवार के दिन प्रारम्भ करना चाहिए। श्री हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख बैठकर दस सहस्त्र जप करे। इस प्रयोग से सभी कामनाएँ पूर्ण होती है। मनोनुकूल विवाह-सम्बन्ध होता है। अभिमन्त्रित काजल रविवार के दिन लगाना चाहिए। अभिमन्त्रित जल नित्य पीने से सभी रोगों से मुक्त होकर सौ वर्ष तक जीवित रहता है। इसी प्रकार आकर्षण, स्तम्भन, विद्वेषण, उच्चाटन, मारण आदि सभी प्रयोग उक्त मन्त्र से सभी प्रयोग उक्त मन्त्र से किए जा सकते हैं।

2. मन्त्र: ॐ नमो भगवते हनुमते, जगत्प्राण-नन्दनाय,ज्वलित-पिंगल-लोचनाय, सर्वाकर्षण-कारणाय ! आकर्षय आकर्षय, आनय आनय, अमुकं दर्शय दर्शय, राम-दूताय आनय आनय, राम आज्ञापयति स्वाहा। 

विधिः उक्त केरल– मन्त्र का जप रविवार की रात्रि से प्रारम्भ करे। प्रतिदिन दो हजार जप करे। बारह दिनों तक जप करने पर मन्त्र सिद्धि होती है। उसके बाद पाँच बालकों की पूजा कर उन्हें भोजनादि से सन्तुष्ट करना चाहिए। ऐसा कर चुकने पर साधक को रात्रि में श्री हनुमान जी स्वप्न में दर्शन देंगे और अभीष्ट कामना को पूर्ण करेंगे। इस मन्त्र से आकर्षण भी होता है।

3. मन्त्र: ॐ यं ह्रीं वायु-पुत्राय ! एहि एहि, आगच्छ आगच्छ, आवेशय आवेशय, रामचन्द्र आज्ञापयति स्वाहा ।

विधिः कर्णाटक नामक उक्त मन्त्र को, पूर्ववत् पुरश्चरण कर, सिद्ध कर लेना चाहिए। फिर यथोक्त-विधि से आकर्षण प्रयोग करे।

4. मन्त्र: ॐ नमो भगवते ! असहाय-सूर ! सूर्य-मण्डल-कवलीकृत ! काल-कालान्तक ! एहि एहि, आवेशय आवेशय, वीर-राघव आज्ञापयति स्वाहा। 

विधिः उक्त आन्ध्र मन्त्र के पुरश्चरण की भी वही विधि है। सिद्ध-मन्त्र द्वारा सौ बार अभिमन्त्रित भस्म को शरीर में लगाने से सर्वत्र विजय मिलती है।

5. मन्त्र: ॐ नमो भगवते अञ्जन-पुत्राय,उज्जयिनी-निवासिने, गुरुतर-पराक्रमाय,श्रीराम-दूताय लंकापुरी-दहनाय, यक्ष-राक्षस-संहार-कारिणे हुं फट्।

विधिः उक्त ‘गुर्जर’ मन्त्र का दस हजार जप रात्रि में भगवती दुर्गा के मन्दिर में करना चाहिए। तदन्तर केवल एक हजार जप से कार्य-सिद्धि होगी। इस मन्त्र से अभिमन्त्रित तिल का लड्डू खाने से और भस्म द्वारा मार्जन करने से भविष्य-कथन करने की शक्ति मिलती है। तीन दिनों तक अभिमन्त्रित शर्करा को जल में पीने से श्रीहनुमानजी स्वप्न में आकर सभी बातें बताते हैं, इसमें सन्देह नहीं है. पहले आप स्वयम मंत्र का जाप करे उसके बाद मंत्र का इस्तेमाल कैसे करना है यह मै आपको समजा दुगा परंतु बिना मंत्र जाप किये सवाल पुछने का कष्ट ना करिये..।

हो सके तो अपने गुरू से आग्या लेकर मंत्र जाप करे। ये पाचो मंत्र दिव्य है, इन्हे आजमाने हेतु जाप ना करे। 

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