Narad Jayanti विक्रम संवत तिथि के अनुसार ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को श्री नारद अवतरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन देवों के ऋषि नारद जी की पूजा-आराधना की जाती है। इन्हें तीनों लोकों में वायु मार्ग द्वारा विचरण करने का वरदान प्राप्त है। नारद जी ने ही ध्रुव और प्रह्लाद को ज्ञान देकर भक्ति मार्ग की ओर उन्मुख किया था। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु जी के परम और अनन्य भक्त नारद जी की पूजा आराधना करने से व्यक्ति को बल, बुद्धि और सात्विक शक्ति मिलती है। इस दिन कृष्ण मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को बासुंरी जरूर भेंट करनी चाहिए, ऐसा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।

नारद जन्मोत्सव की पूजा विधि (Narad Jayanti Ki Puja Vidhi)

1. प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें।

2. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

3. देवर्षि नारद का ध्यान करना करें।

4. फिर भगवान विष्णु की पूजा करें।

5. श्री हरि का ध्यान करें और मंत्र जपें।

6. श्री विष्णु भक्तों को चंदन लगाएं।

7. तुलसी के पत्ते भक्तों में बाटें।

8. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

9. भगवान विष्णु की आरती गाएं।

10. फिर देवर्षि नारद की आरती उतारें।

11. इस दिन शंख का दान अवश्य करें।

नारद जन्मोत्सव का महत्व (Significance of Narad Jayanti) 

मान्यता है कि नारद जयंती के दिन देवर्षि नारद की पूजा करने या उनका स्मरण मात्र करने से और उनके नाम का जाप करने से पेशेवर जीवन में बहुत से सकारात्मक बदलाव आते हैं। नौकरी में तरक्की होती है, कार्यस्थल पर मान-सम्मान बढ़ता है, आय में वृद्धि होती है, नौकरी में सफलता मिलती है और उच्च स्थान की प्राप्ति भी होती है। नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं।

नारद कुंड में स्नान के लाभ (Narad Jayanti Bath in Narad Kund Benefits)

1. ऐसा माना जाता है कि नारद जयंती के दिन ब्रज मंडल में स्थित नारद कुंड में नारद जी का नाम जाप करते हुए स्नान करने से भगवन विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) प्रसन्न होते होते हैं।

2. धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि नारद जयंती के दिन नारद जी का नाम जाप करते हुए नारद कुंड में स्नान करने से व्यक्ति को बुद्धि का वरदान और श्री हरि का आशीर्वाद मिलता है।

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