मां दुर्गा की अराधना का पर्व नवरात्रि समापन की ओर हैं. नवरात्रि का समापन महाअष्टमी तिथि और नवमी तिथि को किया जाता है. इन दोनों ही तिथियों को नवरात्रि की बेहद खास तिथि माना जाता है. कुछ लोग अष्टमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं, तो कुछ नवमी तिथि को. अष्टमी या नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करके दशमी तिथि को व्रत का पारण किया जाता है.
नौ दिन सच्ची श्रद्धा से मां दुर्गा की भक्ति और व्रत आदि करने से मां की कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि व्रत का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है, जब व्रत का पारण सही तरह से किया जाए. कन्या पूजन के बाद माता की चौकी कब हटाएं, कलश के चावल और नारियल का क्या करें. आइए जानते हैं
माता की चौकी कब हटाएं when to remove mata ki chowki
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन स्थापित की गई माता की चौकी को दशमी तिथि के दिन हटाना चाहिए. साथ ही, ऐसी भी मान्यता है कि दशमी तिथि के दिन ही दुर्गा विसर्जन किया जाता है. नवरात्रि 9 दिनों की अराधना का पर्व है. इसलिए मां दुर्गा को 9 दिनों तक घर में स्थापित किया जाता है और दसवें दिन मां का विसर्जन किया जाता है. इस बात का ध्यान रखें कि दसवें दिन माता की चौकी हटाने से पहले उनकी विधिपूर्वक पूजा अवश्य करें.
कलश के नीचे रखे चावल का क्या करें What to do with the rice kept under the urn in Hindi
माता की चौकी स्थापित करने के दौरान कलश के नीचे रंगे हुए चावलों की ढेरी बनाई जाती है. नवरात्रि समापन के बाद उसका क्या किया जाए, ये सवाल लगभग सभी के मन में आता है. तो आपको बता दें कि कलश के नीचे रखे चावल को मां दुर्गा की मूर्ति के साथ ही विसर्जन कर देना चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो पास में ही किसी देवीय वृक्ष जैसे पीपल, आंवला, आदि की मिट्टी में गाढ़ दें. इसके अलावा, पक्षियों को भी खाने के लिए दे सकते हैं
कलश पर रखें नारियल का क्या करें What to do with the coconut kept on the urn in Hindi
बता दें कि जो नारियल चौकी पर रखे हुए कलश के ऊपर रखा जाता है, उसे कभी भी प्रसाद के रूप में फोड़कर खाया नहीं जाता. इस नारियल को भी मां दुर्गा के साथ विसर्जित कर दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जब हम देवी जी का पूजन करते हैं, तो मां उसी नारियल में आह्वान करती हैं. इसलिए इसे खाना नहीं चाहिए. प्रसाद के दिन बराबर में एक और नारियल रखा जाना चाहिए.
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