हिन्दू धर्म से संबंधित पुराणों, ग्रंथों और अन्य दस्तावेजों के अंतर्गत विभिन्न मंत्रों और उनके चमत्कारों का उल्लेख मिलता है। मंत्र उच्चारण का प्रभाव आपके मस्तिष्क के साथ-साथ आपकी आत्मा पर भी पड़ता है लेकिन शायद आप यह नहीं जानते कि कुछ मंत्र ऐसे भी हैं जिनकी सहायता से जातक बड़ी से बड़ी बीमारी से भी मुक्ति पा सकता है फिर चाहे वह बीमारी शारीरिक या मानसिक रूप से कितनी ही घातक क्यों ना हो।

बता दें इस बारे में हिंदू धर्म के वेद-पुराणों में वर्णन किया गया है। जी हां, शायद आप में से बहुत से लोग इस बात पर यकीन नहीं करेंगे, परंतु ये सत्य है। हमारे शास्त्रों में महामारी से बचने के लिए न केवल उपाय बल्कि कई मददगार मंत्र भी दिए गए हैं। तो चलिए बिना देर किए हुए हैं जानते हैं इन उपायों व मंत्रों के बारे में-

रोग नाशक देवी मंत्र Disease killer goddess mantra 

ॐ उं उमा-देवीभ्यां नमः

इस मन्त्र से मस्तक-शूल (headache) तथा मज्जा-तन्तुओं (Nerve Fibres) की समस्त विकृतियाँ दूर होती है पागल-पन (Insanity, Frenzy, Psychosis, Derangement, Dementia, Eccentricity) तथा हिस्टीरिया (hysteria) पर भी इसका प्रभाव पड़ता है

ॐ यं यम-घण्टाभ्यां नमः

इस मन्त्र से नासिका (Nose) के विकार दूर होते हैं

ॐ शां शांखिनीभ्यां नमः 

इस मन्त्र से आँखों के विकार (Eyes disease) दूर होते हैं सूर्योदय से पूर्व इस मन्त्र से अभिमन्त्रित रक्त-पुष्प से आँख झाड़ने से फूला आदि विकार नष्ट होते हैं

ॐ द्वां द्वार-वासिनीभ्यां नमः 

इस मन्त्र से समस्त कर्ण-विकार (Ear disease) दूर होते हैं

ॐ चिं चित्र-घण्टाभ्यां नमः

इस मन्त्र से कण्ठमाला तथा कण्ठ-गत विकार दूर होते हैं

ॐ सं सर्व-मंगलाभ्यां नमः

इस मन्त्र से जिह्वा-विकार (tongue disorder) दूर होते हैं । तुतलाकर बोलने वालों (Lisper) या हकलाने वालों (stammering) के लिए यह मन्त्र बहुत लाभदायक है

ॐ धं धनुर्धारिभ्यां नमः 

इस मन्त्र से पीठ की रीढ़ (Spinal) के विकार (backache) दूर होते है । This is also useful for Tetanus

ॐ मं महा-देवीभ्यां नमः

इस मन्त्र से माताओं के स्तन विकार अच्छे होते हैं । कागज पर लिखकर बालक के गले में बाँधने से नजर, चिड़चिड़ापन आदि दोष-विकार दूर होते हैं

ॐ शों शोक-विनाशिनीभ्यां नमः

इस मन्त्र से समस्त मानसिक व्याधियाँ नष्ट होती है । मृत्यु-भय दूर होता है पति-पत्नी का कलह-विग्रह रुकता है इस मन्त्र को साध्य के नाम के साथ मंगलवार के दिन अनार की कलम से रक्त-चन्दन से भोज-पत्र पर लिखकर, शहद में डुबो कर रखे मन्त्र के साथ जिसका नाम लिखा होगा, उसका क्रोध शान्त होगा

ॐ लं ललिता-देवीभ्यां नमः 

इस मन्त्र से हृदय-विकार (Heart disease) दूर होते हैं

ॐ शूं शूल-वारिणीभ्यां नमः

इस मन्त्र से उदरस्थ व्याधियों (Abdominal) पर नियन्त्रण होता है । प्रसव-वेदना के समय भी मन्त्र को उपयोग में लिया जा सकता है

ॐ कां काल-रात्रीभ्यां नमः

इस मन्त्र से आँतों (Intestine) के समस्त विकार दूर होते हैं । विशेषतः अक्सर, आमांश आदि विकार पर यह लाभकारी है

ॐ वं वज्र-हस्ताभ्यां नमः 

इस मन्त्र से समस्त वायु-विकार दूर होते हैं । ब्लड-प्रेशर के रोगी के रोगी इसका उपयोग करें

ॐ कौं कौमारीभ्यां नमः 

इस मन्त्र से दन्त-विकार (Teeth disease) दूर होते हैं । बच्चों के दाँत निकलने के समय यह मन्त्र लाभकारी है

ॐ गुं गुह्येश्वरी नमः

इस मन्त्र से गुप्त-विकार दूर होते हैं । शौच-शुद्धि से पूर्व, बवासीर के रोगी १०८ बार इस मन्त्र का जप करें । सभी प्रकार के प्रमेह – विकार भी इस मन्त्र से अच्छे होते हैं

ॐ पां पार्वतीभ्यां नमः 

इस मन्त्र से ‘रक्त-मज्जा-अस्थि-गत विकार’ दूर होते हैं । कुष्ठ-रोगी इस मन्त्र का प्रयोग करें

ॐ मुं मुकुटेश्वरीभ्यां नमः 

इस मन्त्र से पित्त-विकार दूर होते हैं । अम्ल-पित्त के रोगी इस मन्त्र का उपयोग करें

ॐ पं पद्मावतीभ्यां नमः 

इस मन्त्र से कफज व्याधियों पर नियन्त्रण होता है

रोगनाशक देवी मंत्र विधि Disease killer goddess mantra method in Hindi 

उपर्युक्त मन्त्रों को सर्व-प्रथम नवरात्रि अथवा  किसी अन्य पर्व-काल में १००८ बार जप कर सिद्ध कर लेना चाहिये । फिर प्रतिदिन जब तक विकार रहे, १०८ बार जप करें अथवा सुविधानुसार अधिक-से-अधिक जप करें । विकार दूर होने पर ‘कुमारी-पूजन, ब्राह्मण-भोजन आदि करें विकार दूर होने पर ‘कुमारी-पूजन, ब्राह्मण-भोजन आदि करें ।

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