इस मंत्र से मिलेगा भगवान विष्णु के हजार नामों के जप का फल 

कई बार हम इन समस्याओं से काफी परेशान हो जाते हैं। धर्म ग्रंथों में इन परेशानियों से बचने के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं। ऐसा ही एक उपाय है विष्णु सहस्त्रनाम का जाप। विष्णु सहस्रनाम एक ऐसा मंत्र है जिसमें विष्णु के हजार नामों का सम्मिश्रण है अर्थात अगर कोई व्यक्ति भगवान विष्णु के हजार नामों का जाप नहीं कर सकता है तो वह इस एक मंत्र का जाप कर सकता है। इस एक मंत्र में अथाह शक्ति छिपी हुई है जो कलयुग में सभी परेशानियों को दूर करने में सहायक है।

विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत्र मंत्र:

नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे। सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नमः।। 

शैव और वैष्णवों के मध्य यह सेतु का कार्य करता है ये मंत्र 

इस मंत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हिन्दू धर्म के दो प्रमुख सम्प्रदाय शैव और वैष्णवों के मध्य यह सेतु का कार्य करता है।

विष्णु सहस्रनाम में विष्णु को शम्भु, शिव ईशान और रुद्र के नाम से सम्बोधित किया है, जो इस तथ्य को प्रतिपादित करता है कि शिव और विष्णु एक ही है। विष्णु सहस्रानम में प्रत्येक नाम के एक सौ अर्थ से कम नहीं हैं, इसलिए यह एक बहुत प्रकांड और शक्तिशाली मंत्र है शंकराचार्य और पारसर भट्ट जैसे प्रसिद्ध व्यक्तित्व ने इस पवित्र पाठ पर टिप्पणियां लिखी हैं।

इसे भी पढ़ें  Lord Vishnu Chalisa : पढ़ें श्री विष्णु जी की प्रिय चालीसा, प्रसन्न होकर देंगे आशीष

विष्णु सहस्रनाम उद्ग्म स्रोत 

विष्णु सहस्रनम की उत्पत्ति महाकाव्य महाभारत से मानी जाती है जब पितामह भीष्म पांडवों से घिरे मौत के बिस्तर पर अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे थे उस समय युधिष्ठिर ने उनसे पूछा पितामह कृपया हमें बताएं कि सभी के लिए सर्वोच्च आश्रय कौन है ? जिससे व्यक्ति को शांति प्राप्त हो सके वह नाम कोनसा है जिससे इस भवसागर से मुक्ति प्राप्त हो सके इस सवाल के जबाब में भीष्म ने कहा की वह नाम विष्णु सहस्रनाम है

ज्योतिषीय लाभ 

यह नकारात्मक ज्योतिषीय प्रभावों को वश में करने में मदद करता है, इनमें उन दोषों को शामिल किया जाता है जो जन्म समय की ग्रहों की खराब स्थिति से उत्पन्न होते हैं, विष्णु सहस्त्रनाम बुरी किस्मत और श्राप से दूर कर सकता है।

अच्छा भाग्य और तकदीर 

जो व्यक्ति विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करता है उसका भाग्य हमेशा उसका साथ देता है।

मनोवैज्ञानिक फायदे 

इसका मनोवैज्ञानिक लाभ भी है , दैनिक विष्णु सहस्रनाम का जप करते हुए मन को काफी आराम मिलता हैं और अवांछित चिंताओं और विचलित विचारों से मुक्ति मिलती है, इससे मन में सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने और कुशलता सीखने को मिलती है।

बाधाएं दूर होती हैं 

विष्णु सहस्त्रनामम अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने का अंतिम उपाय है, यह आपके जीवन में मौजूद महत्वपूर्ण योजनाओं को तेज़ी से और आपके रास्ते पर बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने में मदद कर सकता है, बढ़ती ऊर्जा स्तर और आत्मविश्वास के साथ, आप अपने जीवन के लक्ष्यों की ओर जल्दी और ऊर्जावान रूप से आगे बढ़ सकते हो ।

रक्षात्मक कवच 

भगवान विष्णु का नाम दुर्भाग्य, खतरों, काला जादू, दुर्घटनाओं और बुरी नज़रों से व्यक्ति की रक्षा करने के लिए एक बहुत शक्तिशाली कवच की तरह कार्य करता है और दुश्मनों की बुरी योजनाओं से मन और शरीर की सुरक्षा करता है।

पापों को मिटाना

यह शक्तिशाली मंत्र एक व्यक्ति को अपने सारे जन्मों में अपने सभी पापों को मुक्त करने में सहायता कर सकता है।

सन्तति देता है 

विष्णु के हजारों नामों का जप करने से बांझपन को दूर करने और परिवार में संतान प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। यह घर में बच्चों के स्वास्थ्य और खुशी को बढ़ाता है और उनके समग्र कल्याण को बढ़ावा देता है।

कैसे करें इस मंत्र का जाप ? 

रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीले फूल चढ़ाएं

भगवान विष्णु के सामने कुश का आसन लगाकर तुलसी या चंदन की माला (उपलब्ध ना हो तो रुद्राक्ष माला भी ले सजते है) से इस मंत्र का जप करें। रोज पांच माला जाप करने से उत्तम फल मिलता है। एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।

इसे भी पढ़ें शुभ बृहस्पतिवार: जाने बृहस्पति व्रत पूजा विधि व्रत कथा, और व्रत उद्यापन विधि व्रत सामग्री एवं नियम बृहस्पति स्तोत्र बृहस्पति देव आरती

डिसक्लेमर

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ‘