श्री राधिका रानी का महादान 

Shri Radharani श्री राधारानी जी की रत्ना नाम की एक रजक किशोरी है वह बड़ी सलोनी हैं श्याम रंग की है उसका सेवा कार्य श्री श्री राधा कृष्ण के वस्त्रों को उत्तम रीति से धोना है। रत्ना सभी सखियों और मंजरियों के सभी वस्त्रों को भी उत्तम रीति से धोने की सेवा करती हैं विनम्रता और सेवा की मूर्ति है रत्ना। बहुत भाव से श्री श्री राधा कृष्ण  सखियों और मंजरियों की सेवा करती है सभी की अत्यंत दुलारी है।सभी सखियां बहुत प्रेम करती है रत्ना से एक दिन रत्ना ने वस्त्रों को धोकर सुखाकर उन्हें लेकर महल में प्रवेश किया और वस्त्रों को यथा स्थान पर उत्तम रति से रख दिया। संजोग की बात आज महल में श्री राधिका जी अकेली बैठी थी

श्री राधिका जी को अकेला बैठा देखकर रत्ना ने श्री राधा जी के चरण कमलों में माथा टेक कर प्रणाम किया। प्रणाम करके जैसे ही रत्ना उठी, राधा जी ने उसकी कलाई पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और अपने हृदय से लगा लिया। और प्रेम ओर करुणा की बरसात कर दीरत्ना के नेत्र सजल हो गये तन मन पुलकित हो उठा। वो भाब विभोर हो गयी।

Shri Radha Rani श्री राधा जी रत्ना से बोली तू कितनी भोली है। कितनी सेवा करती है। सभी सखियां और मंजरियां तेरी सराहना करते थकती नहीं। श्री राधा जी के मुख से मधुर वचन सुन कर रत्ना लज़्ज़ा से भाव विभोर हो गयी।

श्री राधा जी उसकी मन की भाव को देख रही थी श्रीराधा जी ने रत्ना के गालो पर अपने सुकोमल हाथ रख दिये गालो को चूमा और बोली

तुझे क्या भेट दूँ रत्ना ? 

रत्ना बोली- राधारानी आपकी सेवा मिले जीवन भर यह सौभाग्य बना रहे

श्री राधा जी ने रत्ना का भाव जानकर उसे अपनी और खीच लिया और अपनी मांग का सिंदूर अपनी कोमल हाथो से रत्ना के बालो के मध्य माँग में लगा दिया।

कितना आश्चर्य परम आश्चर्य रत्ना के मांग में सिंदूर लगाने का अर्थ अपने प्रियतम कृष्ण का दान दे दिया।

अपने प्राण प्रियतम प्राण बल्लभ का महा दान दे दिया

और कहा मेरे प्राण प्रियतम श्याम सुंदर मेरे आश्रित को सदा ही सदा परम परम आनंद प्रदान करते हैं, मेरे प्रिय जनो पर बलिहार जाते है प्रियतम कितना महा दान दे दिया राधा रानी जी ने ऐसी महा दानी श्रीजी राधिका रानी की जय हो।

तीनो लोक में ऐसी कृपामयी कौन है राधिका जी जैसा 

जय श्री राधे 

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