शुक्र प्रदोष व्रत 2025: शुभ मुहूर्त पूजा विधि, महत्व, कथा स्रोत आरती
प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पुण्यदायक व्रत माना गया है, जो शुक्रवार के दिन त्रयोदशी तिथि को आता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, साथ ही यह व्रत सौभाग्य, संतान सुख, और वैवाहिक जीवन की सुख-शांति के लिए किया जाता है।
शुक्र प्रदोष व्रत – एक परिचय
दिन: शुक्रवार
तिथि: त्रयोदशी (हिंदू पंचांग के अनुसार)
देवता: भगवान शिव, माता पार्वती
काल: प्रदोष काल (सूर्यास्त से लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक)
शुक्र प्रदोष व्रत 2025: शुभ मुहूर्त व तिथियाँ
19 सितंबर 2025 (शुक्रवार)
त्रयोदशी तिथि: 18 सितंबर की रात 11:24 बजे से शुरू होकर 19 सितंबर की 11:36 बजे तक चलेगी।
पूजन (प्रदोष) शुभ मुहूर्त: शाम 6:21 बजे से 8:43 बजे तक।
अक्टूबर 2025 के प्रदोष व्रत- तिथि एवं शुभ मुहूर्त
1. 4 अक्टूबर 2025 (शनिवार) – शनि प्रदोष व्रत
प्रदोष काल (पूजा का शुभ समय): शाम 6:06 बजे से रात्रि 8:34 बजे तक
2. 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) – शनि प्रदोष व्रत
प्रदोष काल (पूजा का शुभ समय): शाम 5:49 बजे से रात्रि 8:22 बजे तक
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व (Importance of Shukra Pradosh Vrat)
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से गौदान के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। अधर्म, अन्याय और अनाचार के समय भी यह व्रत भक्तों को शिव की कृपा से मोक्ष की ओर ले जाता है।
“शुक्र प्रदोष व्रत व्यक्ति को सौंदर्य, धन, सुख, संतान, और वैवाहिक सुख प्रदान करता है।”
✅ यह व्रत मुख्य रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है:
1. जिनके दांपत्य जीवन में समस्याएं चल रही हों
2. जिनकी संतान प्राप्ति में बाधा हो
3. जिनके कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो
4. जिन्हें विवाह में विलंब हो रहा हो
शुक्र प्रदोष व्रत से मिलने वाले प्रमुख फल (Main benefits of Shukra Pradosh fast)
1. 👩❤️👨 सौभाग्य वृद्धि – विशेषकर विवाहित स्त्रियों के लिए
2. 👶 संतान सुख – संतान प्राप्ति में सहायता करता है
3. 🏠 गृहस्थ जीवन में शांति और प्रेम
4. 💰 धन, ऐश्वर्य और भोग-विलास की प्राप्ति
5. 🪔 भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा
शुक्र प्रदोष व्रत की विधि (Method of Shukra Pradosh Vrat)
1. सुबह स्नान के बाद भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत एवं जल से स्नान कराएं।
2. गंगाजल से स्नान करके बेलपत्र, गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं।
3. शाम को पुनः स्नान कर पूजा करें।
4. भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
5. आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं और प्रणाम करें।
6. आरती और मंत्र जाप के साथ पूजा पूर्ण करें।
7. रात में जागरण करें।
📖 शुक्र प्रदोष व्रत की कथा (संक्षेप में) | Shukra Pradosh Vrat Katha
एक धनिक पुत्र ने शुक्र अस्त के समय अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा लाया, जिससे उस पर अनेक प्रकार की विपत्तियाँ आईं गाड़ी टूट गई, डाकू मिल गए, और अंत में उसे साँप ने काट लिया। जब ब्राह्मण मित्र ने यह देखा, तो उसने शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। व्रत करने और पत्नी को पुनः ससुराल भेजने पर वह पूर्णतः स्वस्थ हो गया और सभी कष्ट दूर हो गए।
इस कथा का सार: शुक्र अस्त के समय शुभ कार्य न करें और भगवान शिव की आराधना से संकट टाले जा सकते हैं।
शुक्र प्रदोष पर जपने योग्य मंत्र:
🕉️ नमः शिवाय
भगवान शिव जी की आरती | Prayers to Lord Shiv
ॐ जय शिव ओंकारा,भोले हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि दर्शन पावत रुचि रुचि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा ।
पार्वती अर्धांगनी, शिवलहरी गंगा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
पर्वत सौहे पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
जटा में गंगा बहत है, गल मुंडल माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ हर हर हर महादेव।।
कर्पूर आरती | Camphor Aarti
कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥ ॐ जय…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुजते सोहे।
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय…॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
रुण्डमाल कंठी, जय जय गिरिधारी॥ ॐ जय…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक, ब्रह्मादिक भूतादिक संगे॥ ॐ जय…॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूला।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारक फूला॥ ॐ जय…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥ ॐ जय…॥
त्रिगुण स्वामी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
पूजा के बाद प्रदक्षिणा का महत्व
पूजा के बाद भगवान की परिक्रमा (प्रदक्षिणा) करें, जो सभी पापों को नष्ट कर देती है।
प्रदक्षिणा | circumambulation
नमस्कार, स्तुति -प्रदक्षिणा का अर्थ है परिक्रमा। आरती के उपरांत भगवन की परिक्रमा की जाती है, परिक्रमा हमेशा क्लॉक वाइज (clock-wise) करनी चाहिए। स्तुति में क्षमा प्रार्थना करते हैं, क्षमा मांगने का आशय है कि हमसे कुछ भूल, गलती हो गई हो तो आप हमारे अपराध को क्षमा करें।
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
अर्थ: जाने अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए।
निष्कर्ष
शुक्र प्रदोष व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उपचार है। यह मन, शरीर और वैवाहिक जीवन को संतुलित करता है। यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक किया जाए, तो इसके द्वारा जीवन में प्रेम, समृद्धि और सुख की प्राप्ति निश्चित है।
Must Read जानें प्रदोष व्रत कैसे करें प्रदोष व्रत परिचय एवं प्रदोष व्रत विस्तृत विधि
डिसक्लेमर इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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