हर माह में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह पावन व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत करने से महादेव और माता पार्वती का आर्शीवाद प्राप्त होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही महादेव की पूजा अर्चना करनी चाहिए। प्रदोष काल में महादेव की पूजा करने से सभी देवी देवताओं का आर्शीवाद प्राप्त हो जाता है। 7 जून 2021 को जून माह का पहला प्रदोष व्र रखा जाएगा। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे त्रयोदशी तिथि पर ही प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है। और प्रदोष काल में महादेव की पूजा करने का इतना अधिक महत्व क्यों होता है।
आषाढ़ मास का पहला प्रदोष व्रत 7 जुलाई को दिन बुधवार को पड़ रहा है। बुधवार के प्रदोष को बुध प्रदोष भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव का व्रत और पूजन करने से बुध दोष दूर होता है तथा सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। त्रयोदशी की तिथि 7 जुलाई को रात्रि 01 बजकर 02 मिनट से 8 जुलाई को प्रातः 03 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। प्रदोष का व्रत 7 जुलाई को रखा जाएगा। भगवान शिव की पूजा का विशेष मुहूर्त प्रदोष काल सायं 07:12 बजे से 9:20 बजे तक रहेगा।
धार्मिक पुराणों के अनुसार महादेव ने त्रयोदशी तिथि के दिन ही समुद्र मंथन से निकले विष को पिया था। जिस समय महादेव विष को ग्रहण कर रहे थे उस समय प्रदोष काल था सभी देवताओं ने प्रदोष काल में महादेव की स्तुति की। महादेव ने देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर तांडव भी किया था। तभी से त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में महादेव का पूजन करने की परंपरा चली आ रही है।
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प्रदोष काल
सूर्यास्त से डेढ़ घंटे तक के समय को प्रदोष काल माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष काल में महादेव की पूजा अर्चना करने से महादेव सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
बुध प्रदोष व्रत विधि-
बुध (सौम्यवारा) प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिये।
पूरे दिन मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय ” का जप करना चाहिए, पूरे दिन निराहार रहें।
त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करना चाहिये।
बुध (सौम्यवारा) प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4:30 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे के बीच की जाती है।
व्रती को चाहिये की शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें ।
पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें।
यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं।
पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें, पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें।
कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें।
“ऊँ नम: शिवाय ” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें, इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर शिव जी का ध्यान करें।
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बुध प्रदोष व्रत कथा –
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ, विवाह के दो दिनों बाद उसकी पत्नी मायके चली गई, कुछ दिनों के बाद वह पुरुष पत्नी को लेने उसके यहां गया, बुधवार के दिन जब वह पत्नी के साथ लौटने लगा तो ससुराल पक्ष ने उसे रोकने का प्रयत्न किया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता, लेकिन वह नहीं माना और पत्नी के साथ चल पड़ा, नगर के बाहर पहुंचने पर पत्नी को प्यास लगी पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा। पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई, थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस लौटा उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है उसको क्रोध आ गया, वह निकट पहुंचा तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा। उस आदमी की सूरत उसी की भांति थी। पत्नी भी सोच में पड़ गई, दोनों पुरुष झगड़ने लगे, भीड़ इकट्ठी हो गई, सिपाही आ गए, हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्चर्य में पड़ गए, उन्होंने स्त्री से पूछा ‘उसका पति कौन है?’ वह किं कर्तव्य विमूढ़ हो गई, तब वह पुरुष शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा- ‘हे भगवान हमारी रक्षा करें मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्नी को विदा करा लिया, मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा, जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अन्तर्धान हो गया। पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत रखने लगे ।
बुध प्रदोष व्रत के कार्य सिद्धि के लिए करें ये उपाय
बुध प्रदोष के दिन घर के बड़े बुजुर्ग अपने घर के बच्चों के हाथ से जरूरतमंद बच्चों को मिठाई और हरी वस्तुओं का दान कराएं।
प्रदोष व्रत के दिन पांच सुपारी पांच इलायची और पांच मोदक भगवान गणेश को अर्पित करें।
भगवान गणेश के सामने घी का दिया जलाएं और “ऊँ गण गणपतये नमः” मंत्र का एक माला जाप आसन पर बैठकर करें। जाप पूर्ण होने के बाद और कार्य सिद्ध होने के बाद जरूरतमंद लोगों को खाना जरूर खिलाएं
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