पत्नी की लंबी उम्र के लिए पति रखते हैं अशून्य शयन व्रत, जानिए पूजन विधि, मंत्र, कथा और महत्त्व 

आज हम एक ऐसे व्रत के बार में बता रहे हैं, जो केवल पुरुष अपनी पत्नी की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करते हैं. करवा चौथ के व्रत की बात आती है, तो आधुनिकता की होड़ में बहुत लोग कहते हैं- केवल नारी ही क्यों ? शायद उन्हें ‘अशून्य शयन व्रत’ (Ashunya Shayan Vrat) की जानकारी नहीं यह व्रत पूजा पांच महीने- सावन, भादों, आश्विन, कार्तिक और अगहन में होती है।

इस व्रत में लक्ष्मी तथा श्री हरि, यानी विष्णु जी का पूजन करने का विधान है। दरअसल शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु का शयनकाल होता है और इस अशून्य शयन व्रत के माध्यम से शयन उत्सव मनाया जाता है। कहते हैं जो भी इस व्रत को करता है, उसके दाम्पत्य जीवन में कभी दूरी नहीं आती। साथ ही घर-परिवार में सुख-शांति तथा सौहार्द्र बना रहता है। अतः गृहस्थ पति को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत में किस प्रकार भगवान की प्रार्थना करनी चाहिए।

चातुर्मास के चार महीनों के दौरान हर माह के कृष्ण पक्ष की द्वितिया को यह व्रत श्रावण मास से शुरू करके भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को भी किया जाता है। इस व्रत का वर्णन भगवान श्रीकृष्ण ने महाराज युधिष्ठिर से किया है।

अशून्य शयन द्वितीया का अर्थ है बिस्तर में अकेले न सोना पड़े। जिस प्रकार, स्त्रियां अपने जीवन साथी की लंबी उम्र के लिये करवाचौथ का व्रत करती हैं, ठीक उसी तरह पुरूष अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिये यह व्रत हैं, क्योंकि, जीवन में जितनी जरूरत एक स्त्री को पुरुष की होती है, उतनी ही जरूरत पुरुष को भी स्त्री की होती है। अशून्य शयन द्वितिया का यह व्रत पति-पत्नी के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिये है।

इस व्रत में लक्ष्मी तथा श्री हरि, यानी विष्णु जी का पूजन करने का विधान है। कहते हैं जो भी इस व्रत को करता है, उसके दाम्पत्य जीवन में कभी दूरी नहीं आती और घर-परिवार में सुख-शांति तथा सौहार्द्र बना रहता है। वैसे तो पुरुषों कि लिए ही कहा गया हैं, पर दोनों पति-पत्नी साथ में व्रत करें, तो और भी अच्छा हैं. प्रात:काल उठकर सभी नित्य कर्म कर लें, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, पूजा गृह को साफ कर पवित्र कर लें, लक्ष्मी सहित विष्णु भगवान की शय्या का पूजन करें। भगवान से इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए :

अशून्य शयन व्रत मंत्र :

लक्ष्म्या न शून्यं वरद यथा ते शयनं सदा।

शय्या ममाप्य शून्यास्तु तथात्र मधुसूदन।। 

अर्थात हे वरद, जैसे आपकी शेषशय्या लक्ष्मी जी से कभी सूनी नहीं होती, वैसे ही मेरी शय्या अपनी पत्नी से सूनी न हो, यानी मैं उससे कभी अलग ना रहूं !

इस दिन शाम के समय चन्द्रोदय होने पर अक्षत, दही और फलों से चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। फिर अगले दिन, यानी तृतीया को, किसी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें कोई मीठा फल देना चाहिए।

फल द्वितीया (अशून्यशयन व्रत) का महात्म्य और व्रत विधान 

राजा शतानीक ने कहा- मुने कृपा कर आप फल द्वितीया का विधान कहें जिसके करने से स्त्री विधवा नहीं होती और पति-पत्नी का परस्पर वियोग भी नहीं होता।

सुमन्तु मुनि ने कहा- राजन में फल द्वितीया का विधान कहता हूं इसी का नाम अशुन्यशयना द्वितीया भी है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से स्त्री विधवा नहीं होती और स्त्री पुरुष का परस्पर वियोग भी नहीं होता। क्षीर सागर में लक्ष्मी के समान भगवान विष्णु के शयन करने के समय यह व्रत होता है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया के दिन लक्ष्मी के साथ श्रीवत्स धारी भगवान श्री विष्णु का पूजन कर हाथ जोड़कर इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए।

श्रीवत्स धारिचरिञ्छ् कान्त श्रीवत्स श्रीपते व्यय।

गार्हस्थ्यं मा प्रनाशं में यातु धर्मार्थकामदं।।

गावश्च मा प्रणस्यन्तु मा प्रणस्यन्तु में जनाः।।

जामयो मा प्रणस्यन्तु मत्तो दाम्पत्यभेदतः।

लक्ष्म्या वियुज्येहं देव न कदाचिद्दाथा भवान।।

तथा कलत्रसम्बन्धो देव मा में व्युजयतां 

लक्ष्म्या न शून्यं वरद यथा ते शयनं सदा।।

शय्या ममाप्यशून्यास्तु तथा तु मधुसूदन। 

इस प्रकार विष्णु की प्रार्थना करके व्रत करना चाहिए जो फल भगवान को प्रिय है उन्हें भगवान की शैया पर समर्पित करना चाहिए और स्वयं भी रात्रि के समय उन्हीं फलों को खा कर दूसरे दिन ब्राह्मणों को दक्षिणा देनी चाहिए।

राजा शतानीक ने पूछा- महामुनि भगवान विष्णु को कौन सेफल प्रिय हैं आप उन्हें बताएं दूसरे दिन ब्राह्मण को क्या दान देना चाहिए ? उसे भी कहें।

सुमन्तु मुनि बोले- राजन उस ऋतु में जो भी फल हो और पक्के हो उन्हीं को भगवान विष्णु के लिए समर्पित करना चाहिए। कड़वे कच्चे तथा खट्टे फल उनकी सेवा में नहीं चढ़ाने चाहिए। भगवान विष्णु को खजूर नारीकेल मातुलङ्ग अर्थात बिजोरा आदि मधुर फलों को समर्पित करना चाहिए। भगवान मधुर फलों से प्रसन्न होते हैं दूसरे दिन ब्राह्मणों को भी इसी प्रकार के मधुर फल वस्त्र अन्न तथा स्वर्ण का दान देना चाहिए। इस प्रकार जो पुरुष 4 पक्ष तक व्रत करता है उसका 3 जन्मों तक गृहस्थी जीवन नष्ट नहीं होता और ना तो ऐश्वर्या की कमी होती है। जो स्त्री इस व्रत को करती है वह 3 जन्मों तक ना विधवा होती है ना दुर्भागा और ना पति से पृथक ही रहती है। इस व्रत के दिन अश्विनी कुमारों की भी पूजा करनी चाहिए। राजन इस प्रकार मैंने द्वितीया कल्प का वर्णन किया है।

अशून्य शयन व्रत की पूजा विधि- Ashunya Shayan Poojan Vidhi :

व्रत के दिन स्नान आदि करके साफ कपड़ा पहन लें

उसके बाद पूजा स्थल पर जाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें।

उसके बाद शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें। अंत में आरती करते हुए पूजा समाप्त करें.

शाम को चंद्रोदय के समय पर चंद्रमा को दही, फल तथा अक्षत से अर्घ्य दें।

उसके पश्चात ही व्रत का पारण करें।

अगले दिन जरूरत मंद ब्राह्मण को भोजन कराएं, दक्षिणा दें तथा कोई मीठा फल दान कर दें।

ऐसा करने से आपके दांपत्य जीवन में प्रेम और माधुर्य बना रहेगा।

अशून्य शयन व्रत की कथा- Ashunya Shayan Vrat Katha :

एक समय राजा रुक्मांगद ने जन रक्षार्थ वन में भ्रमण करते-करते महर्षि वामदेवजी के आश्रम पर पहुंच महर्षि के चरणों में साष्टांग दंडवत् प्रणाम किया। वामदेव जी ने राजा का विधिवत सत्कार कर कुशलक्षेम पूछी। तब राजा रुक्मांगद ने कहा- ‘भगवन ! मेरे मन में बहुत दिनों से एक संशय है। मुझे किस सत्कर्म के फल से त्रिभुवन सुंदर पत्नी प्राप्त हुई है, जो सदा मुझे अपनी दृष्टि से कामदेव से भी अधिक सुंदर देखती है। परम सुंदरी देवी संध्यावली जहां-जहां पैर रखती हैं, वहां-वहां पृथ्वी छिपी हुई निधि प्रकाशित कर देती है। वह सदा शरद्काल के चंद्रमा की प्रभा के समान सुशोभित होती है।

विप्रवर! बिना आग के भी वह षड्रस भोजन तैयार कर लेती है और यदि थोड़ी भी रसोई बनाती है, तो उसमें करोड़ों मनुष्य भोजन कर लेते हैं। वह पतिव्रता, दानशीला तथा सभी प्राणियों को सुख देने वाली है। उसके गर्भ से जो पुत्र उत्पन्न हुआ है, वह सदा मेरी आज्ञा के पालन में तत्पर रहता है। द्विजश्रेष्ठ ! ऐसा लगता है, इस भूतल पर केवल मैं ही पुत्रवान हूं, जिसका पुत्र पिता का भक्त है और गुणों के संग्रह में पिता से भी बढ़ गया है। किस प्रकार मैं इन सुखों को भोगता रहूँ और मेरी पत्नी और परिवार मेरे से अलग न हो.

तब ऋषि वामदेव ने कहा : तुम विष्णु और लक्ष्मी का ध्यान करते हुए, श्रावण मास से शुरू करके भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को भी यह व्रत करो. जन्मों-जन्मों तक तुम्हें अपनी पत्नी का साथ मिलता रहेगा, सभी भोग-ऐश्वर्य पर्याप्त मात्रा में मिलते रहेंगे !

अशून्य व्रत में किये जाने वाले कुछ उपाय : Ashunya Shayan Measure 

एक सिंदूर की डिब्बी में पांच गोमती चक्र रख कर उन्हें घर के मन्दिर में या पत्नी के श्रृंगार के सामान के साथ रख दें, पति-पत्नी के बीच में प्यार बढ़ाने के लिये यह कारगर उपाय है| इसके साथ ही एक भोजपत्र या सादे सफेद कोरे कागज पर लाल कलम से “हं हनुमंते नमरु” लिखकर मंत्र का जाप करते हुए घर के किसी कोने में रख दें

अगर आपका अपनी पत्नी से कुछ मन-मुटाव चल रहा है, तो आज रात को सोते समय अपनी पत्नी के तकिए के नीचे कपूर रख दें और अगले दिन उस कपूर को जला दें। अगर यही स्थिति पति के साथ हो तो पत्नी अपने पति के तकिये के नीचे सिंदूर की पुड़िया रख दें और सुबह अपने पति से कहें कि वह आपकी मांग में इस सिन्दूर को भरे। इससे आपके रिश्ते में मजबूती आयेगी।

दोनों के बीच मन-मुटाव दूर करके प्यार को बढ़ाने के लिये रात को सोते समय एक पात्र में पानी भरकर अपने बिस्तर के नीचे रखें दूसरे दिन सुबह उस जल को घर के बाहर छिड़क दें  इसके साथ ही प्रतिदिन दो तुलसी की पत्ती को पूजा के समय मन्दिर में रखें और गायत्री मंत्र का 11 बार जाप करके एक पत्ता खुद खाएं और एक अपनी पत्नी को खिला दें, तो यह आपके रिश्ते के लिये और भी अच्छा होगा।

अपनी पत्नी को अपनी और आकर्षित करने के लिये शाबर मन्त्र ‘ऊँ क्षों ह्रीं ह्रीं आं ह्रां स्वाहा’ को आज से शुरू करके सात दिन तक लगातार लाल वस्त्र पहन कर तथा कुमकुम की माला धारण कर एक सौ एक बार जपे। इस मंत्र के जाप से आपकी पत्नी का प्यार आपके लिये कहीं अधिक बढ़ जायेगा। अगर आप इस मंत्र का जाप करने में कठिनाई महसूस करते हैं, तो आप केवल ‘ओम् ह्रीं नमः’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। आज भगवान लक्ष्मीनारायण के चित्र या मूर्ति पर अपने हाथों से पीपल के पत्तों की माला धागे में पिरोकर अर्पित करें।

माता लक्ष्मी को आज के दिन सौंदर्य प्रसाधन, यानी श्रृंगार का सामान चढ़ाएं। आज सिक्के पर, चाहें एक रूपये का सिक्का हो, दो का हो या पांच का, उस पर अच्छी खुशबू वाला इत्र लगाकर विष्णु और लक्ष्मी जी के मंदिर में चढ़ाएं, आपकी मनोकामना जल्द ही पूरी होगी। आज पति-पत्नी मिलकर पक्षियों को बाजरे का दाना जरूर खिलाएं।

रात्रि के पहले पहर में मौन व्रत रहने से नौकरी में पदोन्नति मिलेगी। मौन व्रत चाहें आप किसी भी समय रहें लेकिन 20 मिनट तक जरूर रहें। अगर आप लगातार 20 मिनट तक न रह सके तो दिन में 5-5 मिनट करके चार बार या 10-10 मिनट करके 2 बार मौन व्रत रह सकते हैं। इससे आपका समय और मकसद दोनों पूरा हो जायेगा।

Ashunya Shayan Vrat Mahatv अशून्य शयन व्रत का महत्व : 

इस व्रत को करने से पत्नी की आयु लंबी होती है। इसके साथ ही दांपत्य जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। वैवाहिक जीवन से नकारात्मकता दूर होती है। पति और पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है। इस व्रत को करने से स्त्री वैधव्य तथा पुरुष विधुर होने के पाप से मुक्त हो जाता है। यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला तथा मोक्ष प्रदाता माना जाता है। इस व्रत से गृहस्थ जीवन में शांति बनी रहती है, तथा खुशहाली आती है।

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