पंचमुखी हनुमान श्री हनुमान रूद्र के अवतार माने जाते हैं। आशुतोष यानि भगवान शिव का अवतार होने से उनके समान ही श्री हनुमान थोड़ी ही भक्ति से जल्दी ही हर कलह, दु:ख व पीड़ा को दूर कर मनोवांछित फल देने वाले माने जाते हैं। श्री हनुमान चरित्र गुण, शील, शक्ति, बुद्धि कर्म, समर्पण, भक्ति, निष्ठा, कर्तव्य जैसे आदर्शों से भरा है। इन गुणों के कारण ही भक्तों के ह्रदय में उनके प्रति गहरी धार्मिक आस्था जुड़ी है, जो श्री हनुमान को सबसे अधिक लोकप्रिय देवता बनाती है। श्री हनुमान के अनेक रूपों में साधना की जाती है। लोक परंपराओं में बाल हनुमान, भक्त हनुमान, वीर हनुमान, दास हनुमान, योगी हनुमान आदि प्रसिद्ध है। 

किंतु शास्त्रों में श्री हनुमान के एक चमत्कारिक रूप और चरित्र के बारे में लिखा गया है। वह है पंचमुखी हनुमान। धर्मग्रंथों में अनेक देवी-देवता एक से अधिक मुख वाले बताए गए हैं। किंतु पांच मुख वाले हनुमान की भक्ति न केवल लौकिक मान्यताओं में बल्कि धार्मिक और तंत्र शास्त्रों में भी बहुत ही चमत्कारिक फलदायी मानी गई है। श्री हनुमान के पांच मुख पांच दिशाओं में हैं। हर रूप एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है। पंचमुखी हनुमान का पूर्व दिशा में वानर मुख है, जो बहुत तेजस्वी है। जिसकी उपासना से विरोधी या दुश्मनों को हार मिलती है।

पंचमुखी हनुमान का पश्चिमी मुख गरूड का है, जिसके दर्शन और भक्ति संकट और बाधाओं का नाश करती है। पंचमुखी हनुमान का उत्तर दिशा का मुख वराह रूप होता है, जिसकी सेवा-साधना अपार धन, दौलत, ऐश्वर्य, यश, लंबी आयु, स्वास्थ्य देती है। पंचमुखी हनुमान का दक्षिण दिशा का मुख भगवान नृसिंह का है। इस रूप की भक्ति से जिंदग़ी से हर चिंता, परेशानी और डर दूर हो जाता है। पंचमुखी हनुमान का पांचवा मुख आकाश की ओर दृष्टि वाला होता है। यह रूप अश्व यानि घोड़े के समान होता है। श्री हनुमान का यह करुणामय रूप होता है, जो हर मुसीबत में रक्षा करने वाला माना जाता है।

पंचमुख हनुमान की साधना से जाने-अनजाने हुए सभी बुरे कर्म और विचारों के दोषों से छुटकारा मिलता है। वही धार्मिक रूप से ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवों की कृपा भी प्राप्त होती है। इस तरह श्री हनुमान का यह अद्भुत रूप शारीरिक, मानसिक, वैचारिक और आध्यात्मिक आनंद और सुख देने वाला माना गया है।

श्री हनुमान बल, बुद्धि और ज्ञान देने वाले देवता माने जाते हैं। श्री हनुमान की भक्ति और दर्शन कर्तव्य, समर्पण, ईश्वरीय प्रेम, स्नेह, परोपकार, वफादारी और पुरुषार्थ के लिए प्रेरित करते हैं। उनके विराट और पावन चरित्र के कारण ही उन्हें शास्त्रों में सकलगुणनिधान शब्द से पुकारा गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी रचना हनुमान चालीसा में श्री हनुमान को माता सीता की कृपा से आठ सिद्धियों और नवनिधि प्राप्त करने और उसको भक्तों को देने का बल प्राप्त होने के बारे में लिखा है। यही कारण है कि हनुमान की भक्ति भक्त की सभी बुराईयों और दोषों को दूर कर गुण और बल देने वाली मानी गई है।

जहां गुण और गुणी व्यक्ति होते हैं, वहां संकट भी दूर रहते हैं। ऐसा व्यक्ति व्यावहारिक रूप से हनुमान की तरह ही संकटमोचक माना जाता है।श्री हनुमान शिव के अवतार माने गए हैं। शास्त्रों के मुताबिक श्री हनुमान सर्वगुण, सिद्धि और बल के अधिपति देवता हैं। यही कारण है कि वह संकटमोचक कहलाते हैं। हर हिन्दू धर्मावलंबी विपत्तियों से रक्षा के लिए श्री हनुमान का स्मरण और उपासना जरूर करता है।

श्री हनुमान की भक्ति और प्रसन्नता के लिए सबसे लोकप्रिय स्तुति गोस्वामी तुलसीदास द्वारा बनाई गई श्री हनुमान चालीसा है। इसी चालीसा में एक चौपाई आती है। जिसमें श्री हनुमान को आठ सिद्धियों को स्वामी बताया गया है।

इसलिए जानते हैं कि आखिर माता सीता की कृपा से श्री हनुमान ने किन नौ निधि को पाया, जो हनुमान उपासना से भक्तों को भी मिलती है। यह निधियाँ वास्तव में शक्तियों का ही रूप है।

1. पद्म निधि– इससे परिवार में सुख-समृद्धि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्राप्त होती रहती है।

2. महापद्म निधि – इसके असर से खुशहाली सात पीढियो तक बनी रहती है।

3. नील निधि – यह सफल कारोबार बनाती है।

4. मुकुंद निधि – यह भौतिक सुखों को देती है।

5. नन्द निधि– इसके प्रभाव से लम्बी उम्र और कामयाबी मिलती है।

6. मकर निधि -यह निधि शस्त्र और युद्धकला में दक्ष बनाती है।

7. कच्छप निधि-इस निधि के प्रभाव से दौलत और संपत्ति बनी रहती है।

8. शंख निधि – इससे व्यक्ति अपार धनलाभ पाता है।

9. खर्व निधि -इससे व्यक्ति को विरोधियों और कठिन समय पर विजय पाने की ताकत और दक्षता मिलती है।

श्री हनुमान शिव के अवतार माने गए हैं। शास्त्रों के मुताबिक श्री हनुमान सर्वगुण, सिद्धि और बल के अधिपति देवता हैं। यही कारण है कि वह संकटमोचक कहलाते हैं। हर हिन्दू धर्मावलंबी विपत्तियों से रक्षा के लिए श्री हनुमान का स्मरण और उपासना जरूर करता है। 

श्री हनुमान की भक्ति और प्रसन्नता के लिए सबसे लोकप्रिय स्तुति गोस्वामी तुलसीदास द्वारा बनाई गई श्री हनुमान चालीसा है। इसी चालीसा में एक चौपाई आती है। जिसमें श्री हनुमान को आठ सिद्धियों को स्वामी बताया गया है।

यह चौपाई है –

अष्टसिद्धि नव निधि के दाता। 

अस बर दीन्ह जानकी माता।। 

अक्सर हर हनुमान भक्त चालीसा पाठ के समय इस चौपाई का भी आस्था से पाठ करता है। लेकिन इसमें बताई गई अष्टसिद्धियों के बारे में बहुत कम ही श्रद्धालु जानकारी रखते हैं। इस चौपाई के अनुसार यह अष्टसिद्धि माता सीता के आशीर्वाद से श्री हनुमान को प्राप्त हुई और साथ ही उनको इन सिद्धियों को अपने भक्तों को देने का भी बल प्राप्त हुआ। जानते हैं इन आठ सिद्धियों के नाम और सरल अर्थ –

1. अणिमा – इससे बहुत ही छोटा रूप बनाया जा सकता है।

2. लघिमा – इस सिद्धि से छोटा और हल्का बना जा सकता है।

3. महिमा – बड़ा रूप लेकर कठिन और दुष्कर कार्यों को आसानी से पूरा करने की सिद्धि।

4. गरिमा – शरीर का वजन बढ़ा लेने की सिद्धि। अध्यात्म की भाषा में अहंकारमुक्त होने का बल।

5. प्राप्ति – इच्छाशक्ति से मनोवांछित फल प्राप्त करने की सिद्धि।

6. प्राकाम्य – कामनाओं की पूर्ति और लक्ष्य पाने की दक्षता।

7. वशित्व – वश में करने की सिद्धि।

8. ईशित्व – ईष्टसिद्धि और ऐश्वर्य सिद्धि।

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