जप माला के नियम और सावधानीयाँ Rules and precautions of chanting rosary
माला शब्द दो अक्षरों से बना है मा + ला
मा माने लक्ष्मी, प्रभा, शोभा और ज्ञान; ला माने जिसमें लीन रहे; इसलिए लक्ष्मी, प्रभा, शोभा और ज्ञान जिसमें लीन रहते हैं वह है माला
साधना में जप माला बहुत ही महत्वपूर्ण वस्तु है । जब जप अधिक संख्या में करना हो तो जप माला रखना अनिवार्य है । भगवान का स्मरण और नाम-जप की गिनती करने के कारण साधक को इसे अपने प्राणों के समान प्रिय मानना चाहिए ।
एक बार वृन्दावन में दो संतों में लड़ाई हो गयी एक संत ने दूसरे के लिए कहा इसने मेरा हीरा चुरा लिया है दूसरे ने कहा इन्होंने मेरा पारस चुरा लिया है मामला अदालत में गया दोनों ने अपनी-अपनी बात कही जज ने पूछा तुमको हीरा कहां से मिला ? पहले संत ने उत्तर दिया हमको हमारे गुरु ने दिया था जज ने पूछा कहां रखते थे ? संत ने ने कहा अपने कण्ठ में बांध कर रखता था (तुलसी के मनके को वैष्णव संत हीरा कहते हैं)
दूसरे संत से जज ने पूछा तुमको पारस कहां से मिला जो इसने चुरा लिया ? (भगवान के प्रसाद को संत पारस कहते हैं) । दूसरे संत ने उत्तर दिया मुझको मन्दिर से रोज पारस मिलता था, इसने बंद करा दिया
इस प्रकार संतों में भगवान का प्रसाद ‘पारस’ और माला ‘मणि’ मानी जाती है जप माला में मणि, मनिया या दाने पिरोये जाने के कारण इसे मणि माला कहते हैं । पर आजकल लोग जप माला को लटकाये-लटकाये फिरते हैं, जूठे हाथों से छू लेते हैं या जेब में रख लेते हैं
दूसरे की माला से जप क्यों नहीं करना चाहिए ? Why shouldn’t we chant with other’s rosary ?
व्यक्ति को अपनी जप माला अलग रखनी चाहिए दूसरे की माला पर जप नहीं करना चाहिए जप की माला पर जब एक ही मन्त्र जपा जाता है, तो उसमें उस देवता की प्राण-प्रतिष्ठा हो जाती है, माला चैतन्य हो जाती है। फिर उस माला पर एक ही मन्त्र का जप किया जाए तो धीरे-धीरे मन्त्र की चैतन्य शक्ति साधक के शरीर में प्रवेश करने लगती है। तब वह माला साधक का कल्याण करने वाली हो जाती है इसलिए अपनी जप माला न किसी दूसरे को देनी चाहिए और न ही किसी दूसरे की माला पर जप करना चाहिए। लेना-देना तो क्या दूसरों को अपनी माला दिखानी भी नहीं चाहिए। माला की पवित्रता की जितनी रक्षा आप करेंगे, उतनी ही पवित्रता आपके जीवन में आयेगी
जप माला के साथ न करें ये काम ? Do not do this work with chanting rosary ?
1. माला लोगों को दिखाने की चीज नहीं है बल्कि धन की भांति साधक को इसे गुप्त रखना चाहिए ।
2. माला की पवित्रता का साधक को पूरा ध्यान रखना चाहिए
3. जप माला को केवल जप की गिनती करने वाला साधन न समझ कर उसका पूरा आदर करना चाहिए।
4. अशुद्ध अवस्था में उसे नहीं छूना चाहिए ।
5. बायें हाथ से जप माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
6. माला को पैर तक लटका कर नहीं रखना चाहिए।
7. माला को जहां कहीं भी ऐसे ही नहीं रखना चाहिए । या तो उसे जपमाली में या किसी डिब्बी में रखकर शुद्ध स्थान पर रखें
माला जप करते समय रखें इन बातों का ध्यान ? Keep these things in mind while chanting rosary ?
1. जप के लिये माला को हृदय के सामने अनामिका अंगुली पर रखकर अंगूठे से स्पर्श करते हुए मध्यमा अंगुली से फेरना चाहिए । सुमेरु का उल्लंघन न करें, तर्जनी अंगुली न लगावें । सुमेरु के पास से माला को घुमाकर दूसरी बार जपें ।
2. जप करते समय माला ढकी हुई होनी चाहिए।
3. जब तक एक माला पूरी न हो, बीच में बोलना नहीं चाहिए, दूसरों की ओर देखना नहीं चाहिए, इशारे नहीं करना चाहिए ।
4. यदि जप करते समय किसी कारण बीच में उठना पड़े तो माला पूरी करके ही उठना चाहिए और दुबारा जप के लिए बैठना हो तो आचमन करके ही जप शुरु करना चाहिए ।
विभिन्न कामनाओं और देवताओं के अनुसार माला में भेद होता है ? Is there a difference in garlands according to different wishes and deities ?
जप माला अनेक वस्तुओं की होती है
जैसे तुलसी, रुद्राक्ष, कमलगट्टा (पद्मबीज), स्फटिक, हल्दी, लाल चंदन, शंख, जीवपुत्रक, मोती, मणि, रत्न, सुवर्ण, मूंगा, चांदी और कुशमूल । इन सभी के मणियों (दानों) से माला तैयार की जाती है । इनमें वैष्णवों के लिए तुलसी और स्मार्त, शैव व शाक्तों के लिए रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम मानी गयी है
मनुष्य की जितनी कामना होती हैं, उनके उतने ही मन्त्र होते हैं और उतने ही देवता । आजकल लोग एक ही माला पर सभी देवताओं के मन्त्र जप लेते हैं, यह माला की मर्यादा की अवहेलना है । विभिन्न देवताओं की अलग-अलग मालाएं होती हैं ।
जैसे लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले मन्त्र कमलगट्टे की या लाल चंदन की माला पर
विष्णु, श्रीकृष्ण या श्रीराम के मन्त्र तुलसी माला पर
शंकर, हनुमान, दुर्गा आदि के मन्त्र रुद्राक्ष की माला पर
मां बगलामुखी का जप हल्दी की माला पर आदि ।
जपमाला बनाते या खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान ? Keep these things in mind while making or buying rosary ?
1. माला बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक चीज की माला में दूसरी चीज न लगायी जाए ।
2. माला के दाने छोटे-बड़े न हों ।
3. जपमाला में पूरे 108 दाने होने चाहिए, कम या अधिक नहीं ।
4. विभिन्न कामनाओं और देवताओं के अनुसार भी मालाओं में भेद होता है । शान्तिकर्म में श्वेत, वशीकरण में लाल, अभिचार में कृष्ण और मोक्ष व ऐश्वर्य के लिए रेशमी सूत की माला अच्छी मानी जाती है । शार्त्रों में वर्ण के अनुसार माला पिरोने के लिए सूत का रंग चुना जाता था।
जैसे ब्राह्मण के लिए सफेद रंग का सूत, क्षत्रिय के लिए लाल, वैश्य के लिए पीला और शूद्र के लिए कृष्ण वर्ण का सूत माला बनाने में प्रयोग करने का विधान है ।
5. सोने के तार में भी माला पिरोयी जा सकती है ।
6. जपमाला जिस किसी भी चीज से नहीं बनानी चाहिए और चाहे जिस किसी भी प्रकार से उसे गूंथ लेना भी वर्जित है।
डिसक्लेमर इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
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