जानें मंगल के शुभ-अशुभ योग और उपाय 

जन्म कुंडली मे मंगल के योग जीवन की दशा बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कुंडली में मंगल की अच्छी दशा बेहद कामयाब बनाती है. वहीं इस ग्रह की बुरी दशा इंसान से सब कुछ छीन भी सकती है. मंगल के बहुत से शुभ और अशुभ योग हैं।

मंगल का पहला अशुभ योग 

किसी कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो अंगारक योग बनता है.

अक्सर यह योग बड़ी दुर्घटना का कारण बनता है.

इसके चलते लोगों को सर्जरी और रक्त से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

अंगारक योग इंसान का स्वभाव बहुत क्रूर और नकारात्मक बना देता है.

इस योग की वजह से परिवार के साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं.

मंगल का दूसरा अशुभ योग 

अंगारक योग के बाद मंगल का दूसरा अशुभ योग है मंगल दोष. यह इंसान के व्यक्तित्व और रिश्तों को नाजुक बना देता है.

कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में मंगल हो तो मंगलदोष का योग बनता है.

इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मांगलिक कहते हैं.

कुंडली की यह स्थिति विवाह संबंधों के लिए बहुत संवेदनशील मानी जाती है.

मंगल का तीसरा अशुभ योग

नीचस्थ मंगल तीसरा सबसे अशुभ योग है. जिनकी कुंडली में यह योग बनता है, उन्हें अजीब परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है.

इस योग में कर्क राशि में मंगल नीच का यानी कमजोर हो जाता है.

जिनकी कुंडली में नीचस्थ मंगल योग होता है, उनमें आत्मविश्वास और साहस की कमी होती है.

यह योग खून की कमी का भी कारण बनता है.

कभी–कभी कर्क राशि का नीचस्थ मंगल इंसान को डॉक्टर या सर्जन भी बना देता है.

मंगल का चौथा अशुभ योग 

मंगल का एक और अशुभ योग है जो बहुत खतरनाक है. इसे शनि मंगल (अग्नि योग) कहा जाता है. इसके कारण इंसान की जिंदगी में बड़ी और जानलेवा घटनाओं का योग बनता है.

ज्योतिष में शनि को हवा और मंगल को आग माना जाता है.

जिनकी कुंडली में शनि मंगल (अग्नि योग) होता है उन्हें हथियार, हवाई हादसों और बड़ी दुर्घटनाओं से सावधान रहना चाहिए.

हालांकि यह योग कभी–कभी बड़ी कामयाबी भी दिलाता है.

मंगल का पहला शुभ योग 

मंगल के शुभ योग में भाग्य चमक उठता है. लक्ष्मी योग मंगल का पहला शुभ योग है.

चंद्रमा और मंगल के संयोग से लक्ष्मी योग बनता है.

यह योग इंसान को धनवान बनाता है.

जिनकी कुंडली में लक्ष्मी योग है, उन्हें नियमित दान करना चाहिए।

मंगल का दूसरा शुभ योग 

मंगल से बनने वाले पंच-महापुरुष योग को रूचक योग कहते हैं.

जब मंगल मजबूत स्थिति के साथ मेष, वृश्चिक या मकर राशि में हो तो रूचक योग बनता है.

यह योग इंसान को राजा, भू-स्वामी, सेनाध्यक्ष और प्रशासक जैसे बड़े पद दिलाता है.

इस योग वाले व्यक्ति को कमजोर और गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए ।

मंगल के अशुभ योगों के उपाय

१. मंगल कृत अरिष्ट शांति के लिए किसी भी शुक्ल पक्ष के मंगलवार से शुरू करके लाल वस्त्र पहनकर श्री हनुमान जी की मूर्ती से सामने कुशाशन पर बैठा कर गेरू अथवा लाल चंदन का टीका लगाकर एवं घी की ज्योति जगाकर श्री हनुमानाष्टक अथवा हनुमान चालीसा का प्रतिदिन काम से कम २१ संख्या में पाठ करे।ऐसा नियमित ४१ दिन तक करने पर कठिन से कठिन कार्य की सिद्धि होती है।श्री हनुमानाष्टक पाठ के प्रारंभ में श्री हनुमत-स्तवन के सात मंत्रो का भी पाठ करने से विशेष लाभ होता है।पाठ के बाद किशमिश या लड्डू का भोग लगाना शुभ रहेगा।

२. हर मंगलवार को स्नान आदि से निवृत होकर लाल वस्त्र एवं लाल चंदन का तिलक धारण कर कुशाशन पर बैठ कर ४१ दिन नियमित रूप से १०८ बार हनुमान चालीसा का पाठ एवं लड्डू का भोग लगाने से भौमकृत अरिष्ट की शांति होती है।

३. जन्म कुंडली में मंगल योग कारक होकर भी शुभ फल ना दे रहा हो तो हर मंगल वार कपिला गाय को मीठी रोटियां खिलाकर नमस्कार करना चाहिए गौ को हरा चारा जल सेवा एवं लाल वस्त्र पहना कर अलंकृत करने से मंगल के अशुभ फल की शांति होती है।

४. अपने इष्ट देव को घर में ही २७ मंगलवार सिंदूर का तिलक लगाकर खुद भी प्रसाद स्वरूप तिलक लगाना शुभदायक रहेगा।

५. सोमवार की रात्रि को ताँबे के बर्तन में पानी सिराहने रख कर मंगलवार की प्रातः घर में लगाये हुए गुलाब के पौधों को वही जल मंगल का बीज मंत्र पढ़ते हुए डाले।

६. किसी भी विशेष यात्रा पर जाने से पहले शहद का सेवन शुभ रहेगा।

७. यदि कुंडली में मंगल नीच राशिगत हो या अस्त हो तो शरीर पर सोने या तांबे का गहना या अन्य कोई वस्तु धारण नहीं करना चाहिए।इस स्तिथि में लाल रंग के वस्रों एवं लाल चंदन का भी परहेज करना चाहिए।

८. मंगल अशुभ होने की स्तिथि में मंगल सम्बंधित वस्तुओ (ताम्र बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तु, लाल वस्त्र, गुड़ आदि) के उपहार विशेष कर मंगलवार या मंगल के नक्षत्रो में ग्रहण ना करे अपतु इनका दान इन दिनों विशेष लाभदाय रहेगा।

९. गेंहू तथा मसूर की दाल के सात-सात दाने लाल पत्थर पर सिंदूर का तिलक लगाकर इनको लाल वस्त्र में लपेटकर मंगलवार को मंगल का बीज मंत्र पढ़ते हुए बहते जल में प्रवाहित करें।

१०. २७ मंगलवार किसी अंध विद्यालय में या किसी अंगहीन व्यक्ति को मीठा भोजन कराना शुभ होगा।

११. मंगल की अशुभता में माँस-मछली-शराब आदि तामसिक भोजन का परहेज विशेष जरूरी है।

१२. बिना नमक का एक समय भोजन या फलाहारी रहते हुए मंगलवार का व्रत रखना कल्याण प्रद रहेगा।

१३. सोमवार की रात्रि सरहाने ताम्र पात्र में जल रख कर प्रातः बरगद की जड़ में मंगल के बीज मंत्र या ब्राह्मण को वैदिक मन्त्र से जल चढ़ाना शुभ रहेगा।

१४. कर्ज से छुटकारे एवं संतान सुख के लिए ज्योतिषी से परामर्श कर सवा दस रत्ती का मूंगा धारण करना, भौम गायत्री मंत्र का नियमानुसार जप ,तथा मंगल स्त्रोत्र का पाठ करना कल्याणकारी रहता है।

१५. ऋण, रोग एवं शत्रु भय से मुक्ति के लिए एवं आयोग्य,धन – संपदा – पुत्र प्राप्ति के लिए मंगल यंत्र धारण तथा मंगल की औषधियों से नियमित स्नान इसके अतिरिक्त मंगल के वैदिक मंत्रों का निर्दिष्ट अनुसार ब्राह्मणों द्वारा जप और दशांश हवन करना शीघ्र कल्याणकारी रहेगा।

१६. कुंडली में मांगलिक आदि दोष के कारण मंगल अशुभ फल दे रहा हो तो जातक/जातिका को श्री सुंदरकांड का नियमित १०८ दिन तक हनुमान जी की चोला -जनेऊ एवं भोग लगाकर पाठ करने से वैवाहिक एवं पारिवारिक सुखों में वृद्धि करता है।इसके अतिरिक्त भौम शांति के लिए मंगल चंडिका स्त्रोत्र का पाठ भी विशेष लाभप्रद माना गया है।

१७. अनंतमूल की जड़ मंगलवार को अनुराधा नक्षत्र में लाल धागे से दाएं बाजू में बाँधने से भौम कृत अरिष्ट की शांति होती है।

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