हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है। रंग पंचमी का पर्व होली त्योहार के पांच दिन बाद मनाया जाता है। राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते है। महाराष्ट्र में रंग पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी रंग पंचमी धूमधाम के साथ खेली जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह दिन देवताओं को समर्पित है। रंग पंचमी के दिन रंगों के प्रयोग से सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा का संवहन होता है। इस दिन आसमान की ओर रंग उड़ाकर देवताओं को आमंत्रित किया जाता है।
रंगपंचमी को श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। होली के बाद पंचमी तिथि तक होली का त्यौहार चलता है। भारत देश के कई इलाकों में रंगपंचमी बहुत हर्ष-उल्लास एक साथ मनायी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीराधा जी और गोपियों के साथ होली खेली थी। इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है।
देवताओं की होली Holi of the Gods
जिस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा देवताओं की दिवाली मानी गई है उसी प्रकार रंग पंचमी को देवताओं की होली माना गया है। यह त्योहार देवताओं को समर्पित है क्योंकि हिरण्याकश्यप का वध होने के बाद सभी देवी और देवताओं ने रंगपंचमी के दिन रंगोत्सव मनाया था। यह सात्विक पूजा आराधना का दिन होता है। मान्यता है कि कुंडली के बड़े से बड़े दोष इस दिन की पूजा आराधना से ठीक हो जाते हैं।
होली हिंदुओं का एक बहुत बडा त्योहार है। यह त्योहार पांच दिन तक मनाया जाता है। रंगपंचमी को श्री पंचमी और कृष्ण पंचमी के नाम से भी पुकारा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह पर्व देवताओं को समर्पित है। इस दिन दैवीय शक्तियां नकारात्मक शक्तियों से अधिक प्रभावी होती है। वातावरण में सकारात्मकता रहती है। ऐसा माना जाता है रंगपचमी के दिन रंग-अबीर को शरीर पर ना लगाकर बल्कि हवा में उड़ा कर मनाया जाता है। ऐसा करने से वातावरण शुद्ध होता है, नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है, जिससे व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों में वृद्धि होती है और उसके तामसिक गुणों का नाश हो जाता है।
रंग पंचमी की पौराणिक कथा Legend of Rang Panchami in Hindi
पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग जब भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में धरती पर अवतार लिया था तब इसी दिन श्री राधाजी व अन्य गोपियों के संग रंग और अबीर से होली खेली थी। धर्मग्रंथों के अनुसार देवी सती ने जब अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ जाकर अपनी में देह त्याग दी थी उसके बाद भगवान शिव में वैराग्य उत्पन्न हो गया और वो गहन तपस्या में लीन हो गये। इस बात का लाभ उठाकर असुरराज तारकासुर ने ब्रह्मदेव को प्रसन्न करके यह वरदान प्राप्त कर लिया की उसका वध भगवान शिव के पुत्र से ही सम्भव हो क्योकि उसे पता था कि देवी सती ने देह त्याग दी है और भगवान शिव गहन तपस्या मे लीन है इसलिये ना तो शिव जी के कोई पुत्र होगा और नाही कोई उसका वध कर पायेगा।
देवताओं ने देवी आदिशक्ति से सहायता की प्रार्थना की, तो देवी आदिशक्ति ने पार्वती जी के रूप में पर्वतराज हिमालय और रानी मैंना देवी के यहाँ पुत्री रूप में जन्म ले लिया। देवी पार्वती और भगवान शिव का मिलन कराने के लिये और शिवजी को तपस्या से उठाने के लिये देवताओं ने कामदेव का आह्वान किया। कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या तोडने के लिये कई प्रयास किये जिससे भगवान शिव क्रोधित हो गये और उन्होने कामदेव को अपनी तीसरी आँख खोलकर अग्नि से जलाकर भस्म कर दिया।
कामदेव की पत्नी रति यह देखकर विलाप करने लगी। तब सभी देवताओं ने भगवान शिव को सारी बात से अवगत कराया तब भगवान शिव ने रति को वरदान दिया कि द्वापर युग में कामदेव भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्मुन मे रूप में जन्म लेगा। यह जानकर सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गये और आनंदित होकर रंग उडाकर रंगोत्सव मनाने लगे। कामदेव के भस्म हो जाने से जो वातावरण और प्रकृति में नीरसता आ गयी थी वो सब समाप्त हो गई। इस लिये रंगपंचमी के दिन हवा में रंग उडाने का प्रचलन है।
यही रंगों की होली और रंगपंचमी श्रीनारायण ने अपने कृष्ण अवतार मे राधा और गोपियों के संग खेलकर मनायी थी.. जो आज भी दुनियाभर मे बडे हर्ष-उल्लास से और बडे प्रेम भावसे मनायी जाती है.. रंगपंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधी जी की पूजा की जाती है।श्रीराधा जी के बरसाना स्थित मंदिर में इस दिन विशेष झाँकी सँजायी जाती है। लोग हवा में रंग-गुलाल उडाते है। श्रीखण्ड बनाकर भगवान को भोग लगाते है। नृत्य-संगीत के आयोजन किये जाते है, जूलूस निकाले जाते हैं।
विभिन्न प्रदेशो में रंग पंचमी की परंपराएं Traditions of Rang Panchami in different regions
रंग पंचमी को होली का ही समापन रूप माना जाता है, जो देश के कई क्षेत्रों में चैत्र माह की कृष्ण पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार होली के 5 दिन बाद यानी चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
1. रंग पंचमी के दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है। सभी एक दूसरे को रंग लगाते हैं।
2. इस दिन अलग अलग राज्यों में अलग अलग पकवान बनाए जाते हैं। जैसे महाराष्ट्र में पूरणपोली बनाई जाती है।
3. शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है।
4. लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली और रंग पंचमी पर जलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं। जलूस में बैंड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं।
5. यह त्योहार देवताओं को समर्पित है। यह सात्विक पूजा आराधना का दिन होता है। मान्यता है कि कुंडली के बड़े से बड़े दोष को इस दिन की पूजा आराधना से ठीक हो जाते हैं।
6. धन लाभ पाने और गृह कलेश दूर करने के लिए भी यह रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है।
7. इस दिन श्री राधारानी और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है। राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं।
8. आदिवासी क्षेत्र में विशेष नृत्य, गान और उत्सव मनाया जाता है।
रंगपंचमी पर राशि अनुसार रंग ? Color according to zodiac sign on Rangpanchami ?
रंग पंचमी के दिन भी जहां देवताओं के पसंद के रंग उन्हें अर्पित किया जाता है, वहीं ज्योतिष के अनुसार यदि राशि के मुताबिक रंगों का उपयोग किया जाता है तो इसका लाभ मिलता है। आइए जानते हैं इस रंग पंचमी पर कौनसा रंग आपकी राशि के लिए शुभ रहेगा।
12 राशि और उनके शुभ रंग 12 zodiac signs and their lucky colors
1. मेष राशि आपका रंग लाल व नारंगी है। पीले रंग के सभी शेड्स भी आपके लिए बढ़िया हैं। इन रंगों के उपयोग से आपको शक्ति और स्फूर्ति मिलेगी।
2. वृषभ राशि आपके लिए नीले, काले और हरे रंग के सभी शेड्स उपयुक्त हैं। ये रंग आपको ऊर्जावान बनाए रखने में सक्षम हैं।
3. मिथुन राशि आपका रंग हरा हैं। हरा रंग आपको तनावमुक्त करने में मददगार साबित होगा।
4. कर्क राशि आपका रंग है क्रीम, जो कि चंद्रमा का रंग है। यह रंग आपकी मानसिक शक्ति बढ़ाएगा।
5. सिंह राशि आपका रंग नारंगी है एवं गुलाबी, लाल, पीले रंग के सभी शेड्स आपके लिए अच्छे हैं। ये रंग आपमें नया जोश और उमंग पैदा करने में सक्षम होंगे।
6. कन्या राशि गहरा हरा रंग आपके लिए ऊर्जा व संपन्नता दायक है। यह रंग आपके तनाव को दूर करने में मदद करेगा।
7. तुला राशि आपका रंग नीला, काला और हरा है। ये सभी रंग आपके लिए लाभकारी हैं।
8. वृश्चिक राशि आपका रंग लाल है। लाल रंग आपके लिए ऊर्जादायक सिद्ध होगा।
9. धनु राशि आपके रंग पीले और लाल हैं। खुद पर नियंत्रण रखने में पीला रंग आपकी मदद करेगा।
10. मकर राशि बैंगन, नीला और काला आपके रंग हैं। ये रंग आपके अनुकूल हैं।
11. कुंभ राशि काला, नीला और बैंगनी आपके रंग हैं। ये रंग आपके लिए लाभकारी हैं।
12. मीन राशि आपके रंग लाल और पीले हैं। स्वयं पर नियंत्रण रखने में पीला रंग आपके लिए लाभकारी हैं।
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