भारतीय शास्त्रों के अनुसाए सूर्य देव को जल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है. जी हां अक्सर आप अपनी समस्या लेकर जब किसी पंडित के पास जाते है, तो वो सबसे पहले सूर्य को अर्घ देने का उपाय ही सुझाते है. वही अगर किसी व्यक्ति की कुंडली मे सूर्य ग्रह मजबूत हो तो यह माना जाता है, कि वह व्यक्ति काफी गुणवान होता है. साथ ही समाज मे उसका बहुत मान सम्मान भी होता है. इसके इलावा वह बहुत प्रतिष्ठित भी होता है. ऐसे मे कुंडली मे सूर्य ग्रह को मजबूत रखना बेहद जरुरी है।
वैसे महाभारत काल से ऐसा माना जाता है, कि कर्ण नियमित रूप से सूर्य देव की पूजा करते थे और सूर्य को जल का अर्घ भी देते थे. इसके इलावा सूर्य देव की पूजा के बारे मे भगवान् राम की कथा मे भी यह लिखा गया है, कि भगवान् राम हर रोज सूर्य देव की पूजा करते थे और अर्घ देते थे. वैसे कलयुग मे भी ऐसे बहुत से लोग है जो सूर्य देव को जल अर्पित करते है और उनकी पूजा करते है. गौरतलब है, कि सूर्य देव को अगर पूरी विधि के साथ जल चढ़ाया जाये तो इसके परिणाम और भी अच्छे होते है।
यदि हम सूर्य देव को चढाने वाले जल मे कुछ वस्तुए डाल कर उसे अर्पित करे तो इससे सही फल प्राप्त होता है. वैसे सूर्य देव को भी अलग अलग चीजों के लिए जल दिया जाता है. गौरतलब है, कि ज्योतिषशास्त्र मे सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है. इसलिए नियमित रूप से सूर्य को जल देने से यह माना जाता है, कि इससे आत्मा की शुद्धि होती है और इससे हमारा आत्म विश्वास भी बढ़ता है. इससे न केवल हमारा मनोबल बढ़ता है, बल्कि यह हमें कई बीमारियों से भी निजात दिलाता है।
इसके इलावा यदि आप शरीर मे कमजोरी महसूस करते है तो सूर्य को नियमित रूप से जल देने से इसका प्रभाव आपके शरीर पर पड़ता है, जिससे आपका शरीर ऊर्जावान बनता है. इससे आपको नौकरी के क्षेत्र मे भी काफी लाभ मिलता है. जैसे यदि किसी को नौकरी की परेशानी हो, तो वो यदि सूर्य को नियमित रूप से जल प्रदान करे तो उसकी यह समस्या समाप्त हो सकती है. साथ ही व्यावसाय मे भी लाभ होता है. इसके इलावा अगर प्रमोशन मे कोई समस्या हो तो उच्च अधिकारियो से सहयोग भी मिल सकता है. इससे आपकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाती है. इसलिए सूर्य को हर रोज जल देना काफी फायदेमंद माना जाता है।
मगर सूर्य को जल देते समय इस बात का ध्यान रखे कि स्नान करने के बाद ही सूर्य को जल दे. वैसे सूर्य की उपासना करना कोई नई बात नहीं है. यह परम्परा तो वैदिक काल से चल रही है. इसमें कोई शक नहीं कि सूर्य देव के उदय होने के बाद ही दुनिया से अंधकार खत्म होता है. इससे चारो तरफ रोशनी का प्रकाश हो जाता है. वास्तव मे सूर्य देव के उदय होने के बाद ही मानव, पशु पक्षी सभी अपने अपने कार्यो मे लग जाते है. फिर जैसे ही सूर्य अस्त होता है, हर कोई अपने अपने घर को लौट जाता है. गौरतलब है, कि सूर्य देव को जल अर्पित करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखे. जैसे कि सूर्य को, किसी ताम्बे के लौटे मे जल डाल कर दोनों हाथो से अर्पित करे।
आपको बता दे कि सूर्य देव सभी ग्रहो के राजा कहलाते है. जिस प्रकार ज्योतिष मे माता और मन के कारक चन्द्रमा है, उसी प्रकार पिता और आत्मा के कारक सूर्य है. यहाँ तक कि सभी हिन्दू धार्मिक ग्रंथो में सूर्य देव की महिमा का वर्णन मिलता है. इसके इलावा बहुत कम लोग ये बात जानते है, कि छठ व्रत में सूर्य को दिन में दो बार अर्घ दिया जाता है. सबसे पहले जब सूर्य उदय होता है और फिर जब वह अस्त होता है, तो उसे जल चढ़ाया जाता है. ऐसे में यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच राशि यानि तुला में है. तो इसके अशुभ फल से बचने के लिए आपको हर रोज सूर्य देव को अर्घ देना चाहिए. इसके साथ ही यदि सूर्य किसी अशुभ भाव का स्वामी होकर अशुभ स्थान पर बैठा है. तो उन्हें सूर्य की उपासना करनी चाहिए।
इसके इलावा जिनकी कुंडली में सूर्य देव अशुभ ग्रहो और शनि के राहु केतु के प्रभावों में है. तो ऐसे व्यक्ति को हर रोज नियमानुसार सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए. यहाँ तक कि बीमारियों को दूर रखने के लिए भी हमें सूर्य की उपासना करनी चाहिए. वही अगर स्किन संबंधी कोई समस्या हो तो आदित्य स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इससे लाभ आवश्य मिलता है. बता दे कि सूर्य देव को जल देने से हमारे जीवन में सभी इच्छाओ की पूर्ति होती है. वैसे सूर्य देव को अर्घ देते समय कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखना भी जरुरी है. जैसे सूर्य की पहली किरण को अर्घ देना सबसे ज्यादा फलदायक और उत्तम माना जाता है।
इसके लिए सबसे पहले आप प्रात काल सूर्य उदय होने से पहले उठ जाए और स्नान कर ले. फिर उगते सूर्य के सामने आसन लगा ले. फिर आसन पर खड़े होकर ताम्बे के लौटे में जल डाल कर जल अर्पित करे. इसके बाद रक्त चंदन आदि से युक्त लाल रंग के पुष्प ले. आप लाल रंग का कोई भी पुष्प ग्रहण कर सकते है. इसके इलावा रक्त चन्दन का मतलब है, लाल रंग का चंदन जो इस जल में डाल ले. इसके साथ ही आपको थोड़े से चावल डालने है. इसमें आप भले ही चावल न डाले मगर रक्त चंदन और लाल रंग के पुष्प तो जल में जरूर डालने है और फिर अर्घ देना है. इसमें आप हाथ की मुट्ठी बना कर सूर्य को तीन बार जल अर्पित कर सकते है या सीधा ताम्बे के लौटे में जल डाल कर भी अर्पण कर सकते है।
प्रत्यक्ष देवता श्री सूर्यदेव का यह बीज मन्त्र आपको सूर्यदेव की उच्च आवृत्तियों से जोड़ता है, सूर्य बीज़ मन्त्र सुख, समृधि, स्वास्थ्य, यश और प्रचुरता प्रदान करता है। यदि आपको आँखों से सम्बंधित समस्या हो तो इस मन्त्र का जाप करके आप इस समस्या से मुक्त हो सकते हैं, शुक्ल पक्ष के किसी भी रविवार से शुरू करते हुये लगातार 41 दिनों तक प्रतिदिन सूर्यदेव को जल चढ़ा कर इस मन्त्र का 6 माला जप करें।
आदित्यहृदयं पुण्वं सर्वशत्रुविनाशनम्
जयावहं जपेन्नित्यम् अक्षय्यं परमं शिवम्
अगस्त्य ऋषि श्री राम जी से कहते हैं, यह स्तुति भगवान सूर्य को समर्पित है। अगर आप इस स्तुति का जप करते है तो इस स्तुति के प्रभाव से आपके सभी दुश्मन नष्ट हो जाएँगे और आप इस युद्ध के निर्णायक बनेंगे और इस निर्णय के साथ सर्वोच्च आनंद कभी नहीं समाप्त होगा।
हमेशा मंत्र को पढ़ते हुए ही जल अर्पित करना चाहिए और जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्य उदय दिखाई दे तो दोनों हाथो से ताम्बे के लौटे में जल डाल कर सूर्य को ऐसे जल दे जैसे कि सूर्य की किरणे पानी की धार से आपको साफ़ दिखाई दे। इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखे कि जो जल आप सूर्य देव को अर्पण कर रहे है, वो आपके पैरो में नहीं आना चाहिए. ऐसे में अगर सम्भव हो सके तो एक बर्तन जरूर रख ले, ताकि जो जल आप अर्पण कर रहे है, वो आपके पैरो को न छू सके. इसके बाद उस बर्तन में एकत्रित हुआ जल आप किसी भी पौधे में डाल सकते है।
इसके इलावा यदि आपको सूर्य भगवान् के दर्शन न हो तो रोज की तरह पूर्व दिशा में मुँह करके किसी शुद्ध स्थान पर आप जल अर्पित कर सकते है. मगर जिस रास्ते से लोगों का आना जाना हो, वहां भूल कर भी जल अर्पित न करे. गौरतलब है, कि जल अर्पण करने के बाद दोनों हाथो से उस भूमि को स्पर्श करे और गला. आंख, कान को छूकर भगवान् सूर्य देव को झुक कर प्रणाम करे. इसके साथ ही अर्घ देते समय आपको किसी एक सूर्य मंत्र का मन ही मन में उच्चारण जरूर करना चाहिए. फिर सीधे हाथ में जल लेकर उसे चारो तरफ छिड़कना चाहिए।
सूर्य देव के 12 नाम
1. ऊँ मित्राय: नमः
2. ऊँ रवये नमः
3. ऊँ सूर्यायः नमः
4. ऊँ भानवे नमः
5. ऊँ खगय नमः
6. ऊँ पुष्णे नमः
7. ऊँ हिरण्यगर्भाय नमः
8. ऊँ मारिचाये नमः
9. ऊँ आदित्याय नमः
10. ऊँ सावित्रे नमः
11. ऊँ आर्काय नमः
12. ऊँ भास्कराय नमः
इसके बाद जहाँ आप खड़े होकर जल अर्पित कर रहे है, उसी स्थान पर तीन बार घूम कर परिक्रमा कर ले और जहाँ आपने खड़े होकर सूर्य देव की पूजा की है वहां प्रणाम भी करे. वैसे आपको बता दे कि सूर्य देव का एक मंत्र तो यह है. ॐ सूर्याय नम:. इसके इलावा सूर्य को जल चढाने का उद्देश्य केवल सूर्य देव को प्रसन्न करना या यश की प्राप्ति करना नहीं है. इससे हमारे स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता है. जब सुबह उठ कर ताज़ी हवा और सूर्य की किरणे हमारे शरीर में प्रवेश करती है, तो हमारा स्वास्थ्य भी हमेशा सही रहता है. इसके इलावा जब पानी की धारा में से सूर्य को किरणों को देखते है, तो इससे हमारी आँखों की रौशनी भी तेज होती है.
बता दे कि सूर्य की किरणों में विटामिन दी भरपूर मात्रा में होता है. इसलिए जो व्यक्ति सुबह उठ कर सूर्य को जल देता है, वह तेजस्वी बनता है. साथ ही इससे त्वचा में आकषर्ण और चमक आ जाती है. एक तरफ जहाँ पेड़ पौधों को भोजन की प्राप्ति भी सूर्य की किरणों से होती है, वही दूसरी तरफ ऋषि मुनियो का कहना है, कि सूर्य हमारे शरीर से हानिकारक तत्वों को नष्ट कर देता है. बस सूर्य को जल अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखे कि इसे कभी भी सीधे न देखे बल्कि जल के बीच में से देखे.
इसके इलावा सूर्य को 7 या 8 बजे तक जल चढ़ा दे. वो इसलिए क्यूकि देर से चढ़ाया गया जल हानिकारक भी हो सकता है. इसके साथ ही हमेशा ध्यान रखे कि जल में रक्त चंदन और लाल पुष्प हमेशा डाले. यदि यह न हो तो आप लाल मिर्च के कुछ बीज भी डाल सकते है. यह तंत्र विद्या के काम आते है. तो अब आगे से आप जब भी सूर्य देव को अर्घ दे तो इन बातों का खास ध्यान रखे।
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