फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है, मान्यता है कि भगवान श्री राम ने भी लंका विजय के लिए इस व्रत को किया था। यह व्रत सभी प्रकार की मुश्किलों जैसे शत्रु, स्वास्थ्य, बाधा, और नौकरी-व्यापार की परेशानियों को दूर करने वाला माना गया है। विजया एकादशी के दिन पीले फूल और केसर चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है, विजया एकादशी के दिन श्री हरी की आराधना कर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करना फलदायी माना गया है।

विजया एकादशी – जानें व्रतकथा व पूजा विधि

फाल्गुन मास की कृष्ण एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता तो प्राप्त होती ही है साथ ही व्यक्ति को पूर्वजन्म से लेकर इस जन्म के पापों से छुटकारा मिलता है। यानि जैसा इस एकादशी का नाम है वैसा ही फल प्राप्त होता है। तो आइये जानते हैं विजया एकादशी की व्रत कथा व पूजा विधि के बारे में।

विजया एकादशी व्रत कथा

बहुत समय पहले की बात है द्वापर युग में धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। उन्होने अपनी शंका भगवान श्री कृष्ण के सामने प्रकट की। भगवान श्री कृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा कि हे कुंते कि सबसे पहले नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से फाल्गुन कृष्ण एकादशी व्रत की कथा व महत्व के बारे में जाना था उनके बाद इसके बारे में जानने वाले तुम्हीं हो,

बात त्रेता युग की है जब भगवान श्री राम ने माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने लिये सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया। समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे जो वानर सेना को हानि पंहुचा सकते थे। चूंकि श्री राम मानव रूप में थे इसलिये वह इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे।

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उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे भी स्वयं इसका कोई उपाय नहीं सुझ रहा लेकिन यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय हमें अवश्य मिल सकता है। फिर क्या था भगवान श्री राम उनके पास पंहुच गये। उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी।

तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप समस्त सेना सहित उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब होंगे ही साथ ही इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगें। समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बतायी गई विधिनुसार भगवान श्री राम सहित पूरी सेना ने एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को परास्त किया।

विजया एकादशी व्रत व पूजा विधि 

मुनि वकदालभ्य ने जो विधि भगवान श्री राम को बताई वह इस प्रकार है। एकादशी से पहले दिन यानि दशमी को एक वेदी बनाकर उस पर सप्तधान रखें फिर अपनी क्षमतानुसार सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी का कलश बनाकर उस पर स्थापित करें। एकादशी के दिन पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें और धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें।

उपवास के साथ-साथ भगवन कथा का पाठ व श्रवण करें और रात्रि में श्री हरि के नाम का ही भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें। तत्पश्चात व्रत का पारण करें। व्रत से पहली रात्रि में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिये, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।

इस प्रकार विधिपूर्वक उपवास रखने से उपासक को कठिन से कठिन हालातों पर भी विजय प्राप्त होती है।

जगदीश जी की आरती 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश…

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का।

सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश…

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥ ॐ जय जगदीश…

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी॥ ॐ जय जगदीश…

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।

मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश…

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश…

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे।

करुणा हाथ बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय जगदीश…

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश…

विजया एकादशी के पूजा-उपाय देंगे ढेरों लाभ 

विजया एकादशी व्रत रखने से शत्रु पर विजय मिलती है. धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार भगवान राम ने भी लंका पर चढ़ाई करने से पहले विजया एकादशी व्रत रखा था. इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्‍हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए. इससे मानसिक स्थिति मजबूत होती है. इसके अलावा अन्‍य ग्रह दोष भी दूर होते हैं. साथ ही विजया एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्‍णु प्रसन्‍न होते हैं और जीवन में अपार सुख-समृद्धि देते हैं. विधि-विधान से एकादशी व्रत रखने और पूजा करने के बाद इस दिन जरूरमंदों को अन्न और वस्त्र का दान जरूर करें. ऐसा करना बहुत लाभ देता है.

डिसक्लेमर 

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