आकाश मण्डल में यूँ तो अनेक ग्रह है लेकिन सात ग्रह व दो छाया ग्रहों का ही महत्व हमारे ज्योतिष शास्त्र में मिलता है।

सूर्य से- आत्मा, साहस, पराक्रम, धैर्य आदि।

चन्द्र से- मन, माता, शीतलता, सफेद वस्तु, जल।

मंगल से– साहस, युद्ध, उत्साह, पराक्रम, हिम्मत भुति आदि।

बुध से- बुधी, वणिक प्रवृ‍त्ति, पत्रकारिता, सेल्समैन।

गुरु से- ज्ञान, विवेक, धर्म न्याय।

शुक्र से- सौन्दर्य, कला, सुगंधित वस्तुएँ।

शनि से- कठिन परिश्रम, जीवटता, लोहा, कृषि।

राहु से- गुप्त विद्या, अनैतिक कार्य, चतुराई, राजनीति।

केतु से- उच्च सफलता, जिद्दीपन, अपघात आदि के बारे में जाना जाता है

यही ग्रह हमारे जीवन को जन्म लग्न की स्थितिनुसार फल देते हैं। इनकी उच्च स्थिति या मूल त्रिकोण, स्वराशि या मित्र राशि में होकर शुभ भाव, कारक स्थान में होने पर उत्तम परिणाम देते है।

यही ग्रह उपरोक्त स्थिति में होने पर भी उच्च स्थान पर ना हो तो इनका फल भी उत्तम नहीं मिलता और यही ग्रहों की स्थिति गोचर यानी वर्तमान में भी हो व उन्हीं ग्रहों की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो फल उत्तम स्थितिनुसार मिलते है।

अब इनमें मित्र ग्रहों क‍ी युति व मित्र स्थान में स्थित होने पर भी अतिशुभ फलदाई होते हैं। सूर्य-मंगल, सूर्य-गुरु, सूर्य-बुध, मंगल-सूर्य-गुरु, मंगल-सूर्य-बुध, गुरु-चन्द्र-मंगल, शनि-शुक्र, शनि-बुध इनकी युति शुभ फलदाई होती है।

सूर्य ग्रह 

सूर्य पिता, आत्मा समाज में मान, सम्मान, यश, कीर्ति, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा का करक होता है. इसकी राशि है सिंह कुंडली में सूर्य के अशुभ होने पर पेट, आँख, हृदय का रोग हो सकता है साथ ही सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न होती है इसके लक्षण यह है कि मुँह में बार-बार बलगम इकट्ठा हो जाता है, सामाजिक हानि, अपयश, मनं का दुखी या असंतुस्ट होना, पिता से विवाद या वैचारिक मतभेद सूर्य के पीड़ित होने के सूचक है .

उपाय : ऐसे में भगवान राम की आराधना करे आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करे, सूर्य को आर्घ्य दे, गायत्री मंत्र का जाप करे ताँबा, गेहूँ एवं गुड का दान करें प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें ताबें के एक टुकड़े को काटकर उसके दो भाग करें एक को पानी में बहा दें तथा दूसरे को जीवन भर साथ रखें.

ॐ रं रवये नमः या ॐ घृणी सूर्याय नमः 108 बार (1 माला) जाप करे..

चंद्र ग्रह

चन्द्रमा माँ का सूचक है और मनं का करक है शास्त्र कहता है की “चंद्रमा मनसो जात:” इसकी कर्क राशि है कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है मानसिक तनाव,मन में घबराहट,तरह तरह की शंका मनं में आती है औरमनं में अनिश्चित भय व शंका रहती है और सर्दी बनी रहती है व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते हैं.

उपाय : सोमवार का व्रत करना, माता की सेवा करना, शिव की आराधना करना, मोती धारण करना, दो मोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें कुंडली के छठवें भाव में चंद्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है यदि चंद्र बारहवाँ हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएँ और ना ही दूध पिलाएँ सोमवार को सफ़ेद वास्तु जैसे दही,चीनी, चावल,सफ़ेद वस्त्र, 1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना और ॐ सोम सोमाय नमः का 108 बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है.

मंगल ग्रह

मंगल सेना पति होता है,भाई का भी द्योतक और रक्त का भी करक माना गया है इसकी मेष और वृश्चिक राशि है कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर भाई, पटीदारो से विवाद, रक्त सम्बन्धी समस्या, उच्च रक्तचाप, क्रोधित होना, उत्तेजित होना, वात रोग और गठिया हो जाता है रक्त की कमी या खराबी वाला रोग हो जाता व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का हो जाता है मान्यता यह भी है कि बच्चे जन्म होकर मर जाते हैं.

उपाय : ताँबा, गेहूँ एवं गुड, लाल कपडा, माचिस का दान करें तंदूर की मीठी रोटी दान करें बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहाएँ, मसूर की दाल दान में दें हनुमद आराधना करना,हनुमान जी को चोला अर्पित करना,हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करना, बंदरो को चने खिलाना, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ अं अंगारकाय नमः का 108 बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है.

बुध ग्रह 

बुध व्यापार व स्वास्थ्य का करक माना गया है यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है बुध वाक् कला का भी द्योतक है विद्या और बुद्धि का सूचक है कुंडली में बुध की अशुभता पर दाँत कमजोर हो जाते हैं। सूँघने की शक्ति कम हो जाती है गुप्त रोग हो सकता है व्यक्ति वाक् क्षमता भी जाती रहती है नौकरी और व्यवसाय में धोखा और नुक्सान हो सकता है.

उपाय : भगवान गणेश व माँ दुर्गा की आराधना करे गौ सेवा करे काले कुत्ते को इमरती देना लाभकारी होता है नाक छिदवाएँ ताबें के प्लेट में छेद करके बहते पानी में बहाएँ अपने भोजन में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्तों को और एक हिस्सा कौवे को दें, या अपने हाथ से गाय को हरा चारा, हरा साग खिलाये। उड़दकी दाल का सेवन करे व दान करे ॐ बुं बुद्धाय नमः का 108 बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है.

बृहस्पति ग्रह 

वृहस्पति की भी दो राशि है धनु और मीन कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव में आने पर सिर के बाल झड़ने लगते हैं परिवार में बिना बात तनाव, कलह – क्लेश का माहोल होता है सोना खो जाता या चोरी हो जाता है आर्थिक नुक्सान या धन का अचानक व्यय,खर्च सम्हलता नहीं, शिक्षा में बाधा आती है अपयश झेलना पड़ता है वाणी पर सयम नहीं रहता.

उपाय : ब्रह्मण का यथोचित सामान करे माथे या नाभी पर केसर का तिलक लगाएँ कलाई में पीला रेशमी धागा बांधे संभव हो तो पुखराज धारण करे अन्यथा पीले वस्त्र या हल्दी की कड़ी गांड साथ रक्खे कोई भी अच्छा कार्य करने के पूर्व अपना नाक साफ करें दान में हल्दी, दाल, पीतल का पत्र, कोई धार्मिक पुस्तक, पीले वस्त्र, केला,पीले मिस्ठान, दक्षिणा आदि देवें विष्णु आराधना करे ॐ व्री वृहस्पतये नमः का 108 बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है.

शुक्र ग्रह 

शुक्र भी दो राशिओं का स्वामी है, वृषभ और तुला शुक्र तरुण है, किशोरावस्था का सूचक है, मौज मस्ती,घूमना फिरना,दोस्त मित्र इसके प्रमुख लक्षण है कुंडली में शुक्र के अशुभ प्रभाव में होने पर मनं में चंचलता रहती है, एकाग्रता नहीं हो पाती खान पान में अरुचि, भोग विलास में रूचि और धन का नाश होता है अँगूठे का रोग हो जाता है चलते समय अगूँठे को चोट पहुँच सकती है चर्म रोग हो जाता है स्वप्न दोष की श‍िकायत रहती है.

उपाय : माँ लक्ष्मी की सेवा आराधना करे श्री सूक्त का पाठ करे खोये के मिस्ठान व मिश्री का भोग लगाये ब्रह्मण ब्रह्मणि की सेवा करे स्वयं के भोजन में से गाय को प्रतिदिन कुछ हिस्सा अवश्य दें कन्या भोजन कराये ज्वार दान करें गरीब बच्चो व विद्यार्थिओं में अध्यन सामग्री का वितरण करे अन्न का दान करे ॐ सुं शुक्राय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना भी लाभकारी सिद्ध होता है.

शनि ग्रह 

शनि की गति धीमी है इसके दूषित होने पर अच्छे से अच्छे काम में गतिहीनता आ जाती है कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता या क्षतिग्रस्त हो जाता है अंगों के बाल झड़ जाते हैं शनिदेव की भी दो राशिया है, मकर और कुम्भ शारीर में विशेषकर निचले हिस्से में ( कमर से नीचे ) हड्डी या स्नायुतंत्र से सम्बंधित रोग लग जाते है वाहन से हानि या क्षति होती है काले धन या संपत्ति का नाश हो जाता है अचानक आग लग सकती है या दुर्घटना हो सकती है.

उपाय : हनुमद आराधना करना, हनुमान जी को चोला अर्पित करना, हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करना, बंदरो को चने खिलाना, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ हन हनुमते नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है नाव की कील या काले घोड़े की नाल धारण करे यदि कुंडली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को ताँबे का सिक्का या बर्तन कभी न दें यदि देंगे तो पुत्र को कष्ट होगा यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला आदि न बनवाएँ कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएँ तेल में अपना मुख देख वह तेल दान कर दें (छाया दान करे) लोहा, काली उड़द, कोयला, तिल, जौ, काले वस्त्र, काला सरसों आदि दान दें.

राहु ग्रह 

मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान, स्वयं को ले कर ग़लतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, व कुंडली में राहु के अशुभ होने पर हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं राजक्ष्यमा रोग के लक्षण प्रगट होते हैं वाहन दुर्घटना, उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहना, भोजन में बाल दिखना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है.

उपाय : गोमेद धारण करे दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे जौ या अनाज को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएँ, कोयले को पानी में बहाएँ, मूली दान में देवें, सिर में चोटी बाँधकर रखें सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे, यह प्रयोग 43 दिन करे इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ रं राहवे नमः का 108 बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है.

केतु ग्रह

कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव में होने पर चर्म रोग, मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान, स्वयं को ले कर ग़लतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, जोड़ों का रोग या मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग हो जाता है संतान को पीड़ा होती है वाहन दुर्घटना, उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है.

उपाय दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे कान छिदवाएँ सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे, यह प्रयोग 43 दिन करे इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ कें केतवे नमः का 108 बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है अपने खाने में से कुत्ते, कौव्वे को हिस्सा दें पक्षिओं को बाजरा दे चिटिओं के लिए भोजन की व्यस्था करना अति महत्व्यपूर्ण है.

कभी भी किसी भी उपाय को 43 दिन करना चाहिए तब ही फल प्राप्ति संभव होती है मंत्रो के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे उचित मानी गई है इन उपायों का गोचरवश प्रयोग करके कुण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभ प्रभाव में लाया जा सकता है. सम्बंधित ग्रह के देवता की आराधना और उनके जाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में अत्यधिक लाभप्रद होते है

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