हम शालिग्राम की पूजा क्यों करते हैं शालिग्राम जो कि भगवान विष्णु का स्वरूप हैं उनके बारे में भी बताएंगे
शालिग्राम नाम का पत्थर होता है, जिसे तुलसी के पौधे में जड़ के पास रखना चाहिए। ऐसी मान्यताएं हैं कि तुलसी के पौधे के साथ ही शालिग्राम की रोज़ाना पूजा करने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं। कहा जाता है कि शालिग्राम पत्थर साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप है। इसलिए धन की देवी मां लक्ष्मी इससे काफी खुश होती हैं और भक्तों की गरीबी को दूर कर उनके घर में बरक्कत लाती हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि जो लोग तुलसी के साथ-साथ शालिग्राम पत्थर की भी रोज़ाना पूजा करते हैं, उस घर से दरिद्रता कोसों दूर रहती है। इतना ही वहीं घर-परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है। पत्थर के स्वरूप में धरती पर रह रहे भगवान विष्णु शालिग्राम के रूप को तुलसी के साथ विवाह करने से घर में व्याप्त धन की कमी, क्लेश, कष्ट और रोग भी दूर हो जाते हैं।
शालिग्राम को तुलसी के साथ रखने के साथ ही घर के किसी पवित्र स्थान या मंदिर में भी स्थापित किया जा सकता है। जहां आप शालिग्राम की विधिवत पूजा कर सकें। शालिग्राम पत्थर कई प्रकार के होते हैं। जिनमें शंख, गदा या चक्र जैसे चिह्न बने होते हैं। शालीग्राम की शिलाएं मुख्य रूप सेनेपाल में बहने वाली गंडकी नदी में पाई जाती हैं। मान्यतानुसार गंडकी नदी को तुलसी का रूप माना जाता है। इसी वजह से इस नदी में शालिग्राम का यानी भगवान विष्णु का वास होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शालिग्राम भगवान की पूजा बहुत ही नियमों के साथ करनी चाहिए अन्यथा घर में अशांति और बर्बादी आती है।
जानें कौन से वो नियम हैं जिन्हें शालिग्राम की पूजा के समय ध्यान में रखना चाहिए।
1. यदि आपने शालिग्राम को घर के मंदिर में स्थापित कर रखा है तो उसमें रोज़ तुलसी दल या तुलसी की पत्तियां अर्पित करें। ऐसी मान्यता है कि तुलसी विष्णु प्रिया हैं और विष्णु जी को तुलसी अर्पित करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शालीग्राम की पूजा में तुलसी का पत्ता भगवान शालीग्राम के ऊपर चढ़ाने से धन, वैभव मिलता है।
2. एक से अधिक शालिग्राम रखने से बिहार में आर्थिक संकट व बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए शालिग्राम की एक ही शिला की भक्ति भाव से घर में पूजा करनी चाहिए। इसकी पूजा के लिए हमेशा घर सुथरा रखें और इसे विष्णु जी की तस्वीर या प्रतिमा के पास रखें।
3. कभी भी शालिग्राम की पूजा करते समय या शालिग्राम की शिला घर में रखते समय मांस -मदिरा का सेवन न करें। यदि व्यक्ति ऐसा करता है तो निश्चित ही धन हानि और लड़ाई झगडे बढ़ते हैं।
4. नियमित करें पूजन मान्यता है कि यदि घर में शालिग्राम हैं तो उनकी नियमित पूजा होनी चाहिए। वैसे एक मान्यता है कि घर के पुरुष ही शालिग्राम की पूजा कर सकते हैं, लेकिन पुरुषों की अनुपस्थिति में स्त्रियां भी शालिग्राम भगवान् की पूजा कर सकती हैं। महिलाओं को अशुद्धि के समय पूजा नहीं करनी चाहिए। यदि घर में कोई मृत्यु हुई हो जिसकी वजह से पूजा न की जाए तब भी आप शालिग्राम की शिला की पूजा किसी अन्य रिश्तेदार से करवा सकती हैं। लेकिन ध्यान रहे पूजा हमेशा शुद्ध भाव से ही होनी चाहिए।
5. ऐसी मान्यता है कि यदि घर में शालिग्राम भगवान् हैं तो उन्हें रोज़ पंचामृत से स्नान कराएं। इसमें दूध, दही, जल, शहद और घी शामिल होते हैं। इन सभी सामग्रियों से शालिग्राम जी को स्नान करवाकर इसे चरणामृत को प्रसाद स्वरुप ग्रहण करें। शालिग्राम को गंगाजल नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि गंगा जी शालिग्राम से निकली हैं। शालिग्राम की शिला को पंचामृत से स्नान कराने के बाद चन्दन लगाएं और तुलसी दल अर्पित करें। ऐसा करने से से भगवान् विष्णु की विशेष कृपा दृष्टि बनी रहती है।
6. शालिग्राम को नियमित रूप से भोग अर्पित करें। भोग (लड्डू गोपाल को भोग लगाने की विधि) में सात्विक भोजन को हो अर्पित करें। पूजा के दौरान शुद्ध मन से विष्णु जी की आरती करें और सम्मान पूर्वक शालिग्राम की शिला को भोग अर्पित करें। इस भोग को परिवार और रिश्तेदारों में वितरित करें।
इन नियमों का पालन करते हुए शालिग्राम की पूजा करने से घर की सुख शांति में वृद्धि होने के साथ सभी पापों से मुक्ति मिलती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।
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